दिल्ली के मुंडका इलाके के बच्चे इन दिनों दुखी हैं। दरअसल, इस इलाके में उपलब्ध एक सौ सैंतालीस एकड़ खुली जमीन पर सरकार ने औद्योगिक परिसर बनाने का निर्णय लिया है। इसके इर्दगिर्द कम-से-कम आठ लाख लोग रहते हैं, जिनके बच्चों के खेलने के लिए यही एकमात्र खुली जगह है। जाहिर है कि इससे न केवल प्रदूषण में बढ़ोतरी होगी बल्कि बच्चे खुले में ही खेलने के लिए मजबूर होंगे...
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टिकाऊ पर्यावरण में भारत से बढ़कर कोई नहीं-- वीरेन्द्र रावत
गुजरात के भोड़ासा में नई स्कूल बिल्डिंग बना रहे थे। मैं पहाड़ी आदमी हूं, उत्तराखंड में। मुझे हरियाली की आदत है तो मैंने ट्रस्टीज को कहा कि क्या हम ग्रीन बिल्डिंग बना सकते हैं। उन्होंने पूछा कि इसका क्या मतलब है तो मैंने कहा कि यदि इमारत में प्रकृति के नियमों का पालन करें तो ऐसी इमारत ग्रीन कहलाती है। उनकी रजामंदी के बाद मैंने आर्किटेक्ट को मेरा विचार समझाया।...
More »पर्यावरण बचाने महिलाओं की पहल, छत पर जैविक खेती की तैयारी
संदीप तिवारी, रायपुर(छत्तीसगढ़)। परिवार को केमिकलमुुक्त साग-सब्जियां और फल खाने के लिए मिलें, पर्यावरण में सुधार हो, शुद्ध , ताजी, पौष्टिक और मौसमी सब्जियां घर में ही उपलब्ध होने से बीमारियां दूर हों और शुद्ध एवं ताजी हवा मिले। इस मकसद से राज्य की विभिन्न् महिला स्व सहायता समूह की दो लाख से अधिक महिलाओं ने घर की छत पर जैविक खेती करने के लिए बीड़ा उठाया है। इसके लिए इंदिरा...
More »आबादी का दबाव बढ़ा रहा है रेगिस्तान-- पंकज चतुर्वेदी
एक तरफ परिवेश में कार्बन की मात्रा बढ़ रही है, तो दूसरी ओर ओजोन परत में हुए छेद का विस्तार हो रहा है। इससे उपजे पर्यावरणीय संकट का कुप्रभाव कई तरह से सामने आ रहा है। संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम यानी यूनेप की रिपोर्ट कहती है कि दुनिया भर के करीब 100 देशों में उपजाऊ या हरियाली वाली जमीन रेत से ढक रही है और इसका असर लगभग एक...
More »कैसे करें सूखे का सामना-- बाबा मायाराम
पिछले साल किसान सूखे की मार झेल चुके हैं। इस साल फिर सूखा पड़ गया। जबकि कुछ वर्षों से किसान निरंतर संकट में हैं। उनकी हालत पहले से ही खराब है। इस वर्ष सूखे ने उन्हें गहरे संकट में डाल दिया है। भारतीय मौसम विभाग की भविष्यवाणी सही निकली है। खुद कृषि मंत्रालय ने स्वीकार कर लिया है कि सामान्य से पंद्रह-सोलह फीसद कम बारिश हुई। इससे खरीफ की फसल...
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