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भारत की कहानी में बिहार कहां है?-- शंकर अय्यर

आज बिहार उम्मीदों और निराशा के दोराहे पर खड़ा है। पिछले कई दशकों से ‌अगर बिहार दुर्दशा झेल रहा है, तो इसकी वजह सिर्फ मंडल, कमंडल और जंगल राज नहीं है। इसकी असल वजह 'राजनीति' है, जिसमें 'राज' कुछ ज्यादा, तो 'नीति' जरूरत से काफी कम रही है। भारत में शासन को लेकर एक बेहद प्रचलित उक्ति है कि यहां वह सब कुछ जो गलत हो सकता है, वह लगातार...

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शिक्षा और स्‍वास्‍थ्‍य के बाद जल संसाधन विभाग में भी आउटसोर्सिंग

विनोद सिंह, जगदलपुर (ब्यूरो)। आदिवासी बहुल बस्तर संभाग में शिक्षा और स्वास्थ्य विभाग के बाद अब जल संसाधन विभाग ने भी सर्वे के लिए निजी एजेंसी से निविदा बुलाई है। पड़ोसी राज्य आंध्रप्रदेश में निर्माणाधीन पोलावरम परियोजना से सुकमा जिले को होने वाले नुकसान का आंकलन निजी एजेंसी से कराने निविदा बुलाई जा चुकी है। अब तक जल संसाधन विभाग में योजनाओं के निर्माण के लिए सर्वे और प्राक्कलन तैयार करने...

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अति पिछड़ों की राजनीतिक भूमिका-- बद्री नारायण

बिहार में अब सिर्फ दलितों और पिछड़ों की राजनीति नहीं हो रही, इसकी राजनीति का नया रुझान महादलित और अति पिछड़ों से जुड़ा है। ये दो श्रेणियां बताती हैं कि जिन्हें हम दलित और पिछड़े वर्गों की तरह देखते हैं, उनका स्वरूप हर जगह एक सा नहीं है। इन वर्गों के भीतर भी गैर-बराबरी, ऊंच-नीच या भेदभाव है। इसके चलते संसाधनों का समान वितरण नहीं हो पाता। इनके भीतर भी ऐसी...

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इंजीनियरों से हारे किसानों ने खुद ही बना डाला अस्थाई बंध

विनोद सिंह, जगदलपुर (छत्‍तीसगढ़)। जल संसाधन विभाग से क्षतिग्रस्‍त सिंचाई योजना की मरम्मत की गुहार लगाकर थक चुके तोकापाल ब्लाक के रायकोट के किसानों ने खुद ही नाला में अस्थाई बंध तैयार कर एक मिसाल कायम की है। इंजीनियरों के झूठ व झूठे वादों को दरकिनार कर किसान अस्थाई बंध का निर्माण कर आज की स्थिति में हर साल खरीफ और रबी सीजन में 60 से 70 हेक्टेयर क्षेत्र में...

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उच्च शिक्षा की होड़ से पहले- चंदन श्रीवास्तव

उच्च शिक्षा-संस्थानों में कौन कितना बेहतर है, यह निर्धारित करने के लिए सरकार ने एक देसी फ्रेमवर्क बनाया है. संस्थानों को उनकी श्रेष्ठता के क्रम में ऊपर से नीचे सजाने की तरकीब आकर्षक लग सकती है और जरूरी भी. जो अभिभावक अपने होनहारों की उच्च शिक्षा पर बरसों की जमा रकम खर्च करने का फैसला लेते हैं, या फिर जो छात्र अपनी पढ़ाई के लिए सूद की ऊंची दरों पर...

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