हरित क्रांति के मसीहा डॉ नॉर्मन बोरलॉग ने साठ के दशक में बौनी प्रजाति के अधिक उपज वाले गेहूं की ईजाद की. सभी देशों की तरह भारत में भी उस गेहूं की खेती शुरू की गयी. बौनी प्रजाति के गेहूं ने उस वक्त की राजनीति गढ़ने का भी काम किया, जिस पर बहस और शोध होना चाहिए. देखते-देखते गेहूं की उपज दूनी हो गयी. सन् 1959-60 में जो गेहूं...
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हरियाणा में जैविक खाद की खरीद में गोलमाल- दिनेश भारद्वाज
राज्य में जैविक खाद की खरीद में गोलमाल का आरोप है। किसानों को गेहूं का ‘बीमार' बीज सप्लाई करने के बाद अब एक नये मामले का खुलासा हुआ है। गेहूं, सरसों, बाजरा, गन्ना और सूरजमुखी के लिए किसानों को दी गई जैविक खाद में फर्जीवाड़ा सामने आया है। करनाल और हिसार सहित कई जिलों में इस खाद के सैम्पल फेल हो गए हैं। खाद सप्लाई करने वाली कंपनी के पते...
More »बिना उजाड़े भी विकास संभव सिक्किम दिखा रहा है राह
कहते हैं कि तरक्की के लिए कुछ समझौते करने पड़ते हैं. बात करें किसी राज्य की तरक्की की, तो सबसे ज्यादा खामियाजा उठाना पड़ता है उसके वनों और खेतों को़ चूंकि उन्हें उजाड़कर कल-कारखाने और कॉलोनियां बसायी जाती हैं. लेकिन देश के छोटे राज्यों में शुमार, सिक्किम ने अपनी नीतियों की बदौलत वनों को बचा-बढ़ाकर और जैविक कृषि को अपनाकर और यह धारणा तोड़ी है़ सेंट्रल डेस्क आज भौतिक तरक्की की...
More »27 फीसदी प्रोटीन वाले तिवरा पर मिलावटखोरी का डंडा
गौतम चौबे/रायपुर। गरीबों के प्रोटीन तिवरा (लाखड़ी) में हानिकारक तत्व नहीं होने के बावजूद उस पर खाद्य सुरक्षा का डंडा चल रहा है। आज तक किसी भी वैज्ञानिक ने तिवरा के हानिकारक होने की पुष्टि नहीं की है। नागपुर के समाजसेवी शांति लाल कोठारी ने तिवरा को लेकर उच्च अदालत तक केस लड़ा है और इसके हानिकारक होने की पुष्टि करने वाले को एक लाख रुपए इनाम देने की घोषणा...
More »तुम रिजेक्टेड हो, तुम किसान हो-- अजय शर्मा
वैसे भी तुम्हारी चीखें गांव के आसमान में खो जाने वाली हैं. हो सकता है कि लिखने से ये वहां तक पहुँच जाएं, जहां वो सुनने के बाद रिजेक्ट की जा सकें. मुझे याद है, बस यही ख्याल तब मेरे मन में थे. तेलंगाना में लिंगमपल्ली टांडा गांव के स्कूल में योगेंद्र यादव एक तरफ़ किसानों के दुख अपनी नोटबुक में दर्ज कर रहे थे. और उनसे कुछ दूर मैं इस बुज़ुर्ग...
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