जनसत्ता 29 मई, 2013: सुकमा से राष्ट्रीय शोक का एक मर्मांतक ज्वालामुखी पैदा हुआ है। कांग्रेस के काफिले पर नक्सलियों ने घात लगाकर अंधाधुंध फायरिंग की। उसमें पार्टी के दो वरिष्ठ नेताओं समेत करीब तीस लोग मारे गए। बस्तरिहा घाटियों में माओवादियों द्वारा यह पहला नरसंहार नहीं था। माओवादी वर्षों से अपनी क्रूरता के घिनौने कारनामे अंजाम दे रहे हैं। ताजा हमला विशेष मायने रखता है। कांग्रेसी राजनीतिकों का काफिला...
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जरूरी दवाएं महंगी कर देगी यूरोप से संधि
नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। सस्ती दवाओं की खुशी जल्द ही काफूर हो सकती है। केंद्र सरकार यूरोपीय समुदाय के साथ गुपचुप रूप से जो मुक्त व्यापार समझौता (एफटीए) करने जा रही है उसके बाद भारत सख्त पेटेंट शर्तो में बंध सकता है यानी दवाएं महंगी हो सकती हैं। समझौता गुपचुप इसलिए है क्योंकि इसके प्रावधान सार्वजनिक नहीं किए गए हैं। आमतौर पर मुक्त व्यापार समझौतों का मसौदा संबंधित पक्षों की...
More »खाद्य सुरक्षा बिल- कुछ बुनियादी बातें
संसद के मौजूदा(बजट) सत्र में आखिरकार खाद्य सुरक्षा बिल पर चर्चा होने जा रही है। यह बिल यूपीए सरकार ने साल 2011 में लोकसभा में पेश किया था। आहार और बाल-स्वास्थ्य के मुद्दे पर काम करने वाले विभिन्न संगठनों, स्वयंसेवी संस्थाओं और राज्यों द्वारा प्रस्तुत विविध आलोचनाओं के आलोक में इस बिल में कई और बदलाव किए जाने की संभावना है।यहां प्रस्तुत सामग्री में कोशिश की गई है कि भोजन का अधिकार बिल के बारे में जानकारी क्या-क्यों-कैसे-कौन...
More »खाप पंचायतों के फरमान गैरकानूनी: सुप्रीम कोर्ट
नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट ने मोबाइल के इस्तेमाल और ड्रेस कोड को लेकर महिलाओं पर प्रतिबंध संबंधी खापों (जातीय पंचायतें) के फरमान गैरकानूनी करार दिए हैं। जस्टिस आफताब आलम और रंजना प्रकाश देसाई की बेंच ने सोमवार को कहा, 'यह (खापों के फरमान) कानून का उल्लंघन हैं। कोई किसी को कैसे कह सकता है कि...
More »जाति की दीवारों से घिरे लोग - ज्यां द्रेज
एक बार मैं रीवा जिले की एक दलित बस्ती में गया। बस्ती की चारों तरफ ऊंची जाति के किसानों के खेत थे और इन किसानों ने बस्ती तक जाने के लिए कोई रास्ता देने से इनकार कर दिया था। बस्ती के अंदर छोटी-छोटी सड़कें थीं, लेकिन ये सड़कें बस्ती के आखिरी छोर पर आकर अचानक खत्म हो जाती थीं। वह बस्ती उस टापू की तरह लग रही थी, जो चारों...
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