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जलवायु परिवर्तन से जूझने के लिए कैसे तैयार हो रहे हैं मध्य प्रदेश के ये गांव

मोंगाबे हिंदी, 28 फरवरी मध्यप्रदेश के सतना जिले में धतूरा गांव के किसान देवशरण पटेल (53) कंधे पर बैट्री से चलने वाली कीटनाशक छिड़कने की मशीन लादे खेतों की ओर जा रहे हैं। कुछ दूरी मोटरसाइकिल से तय करने के बाद उन्होंने पगडंडियों पर पैदल चलना शुरु किया। वह पहले खेत जाकर कीटनाशक बनाने का इंतजाम करेंगे फिर इसका छिड़काव करेंगे। आमतौर पर किसान बाजार से कीटनाशक खरीदकर लाते हैं लेकिन पटेल...

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बेमौसमी बढ़ती गर्मी से फसलों को बचा सकता है बायोचार, वैज्ञानिकों ने बताया तरीका

डाउन टू अर्थ, 24 फरवरी  वैज्ञानिकों का मानना है कि ‘बायोचार’ सदियों से लोगों द्वारा उपयोग की जाने वाली एक पारंपरिक कृषि पद्धति रही है। कृषि और पेड़ों का कचरा जैसे कार्बनिक पदार्थों को जलाने से बना चारकोल जैसे पदार्थ को बायोचार कहते हैं। वैज्ञानिकों ने जलवायु-स्मार्ट कृषि (सीएसए) अभ्यास के रूप में इसकी क्षमता का विश्लेषण करने के लिए बायोचार पर दुनिया भर के लगभग 600 अध्ययनों में व्याप्त आंकड़ों को...

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आर्थिक सर्वेक्षण: जलवायु वित्त पर भारत का जोर, जी-20 में विकासशील देशों के रुख को मिलेगी मजबूती

मोंगाबे हिंदी, 3 फरवरी भारत ने संसद में पेश आर्थिक सर्वेक्षण के जरिए विकासशील देशों के लिए ग्रीन फाइनेंस (पर्यावरण को बचाने के लिए धन की व्यवस्था) की खातिर मुखरता से अपनी बात रखी है। इसमें कहा गया है कि विकासशील देश, विकास से जुड़ी प्राथमिकताओं और जलवायु परिवर्तन के खिलाफ लड़ाई के बीच फंस गए हैं। भारत ने अपना पक्ष ऐसे वक्त सामने रखा है जब वह जी-20 की मेजबानी...

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जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से निपटने के लिए किसानों को सतत मूल्‍य श्रृंखलाओं की जरूरत

डाउन टू अर्थ, 23 जनवरी स्‍थानीय स्‍तर पर किया गया पारितान्त्रिक बहाली कार्य अनुकूलन को सम्‍भव बनाने और जलवायु के प्रति लोगों की सहनशीलता को बढ़ाने के लिए महत्‍वपूर्ण है, जो कि हाल ही में जलवायु परिवर्तन पर यूनाइटेड नेशंस फ्रेमवर्क कन्‍वेंशन द्वारा आयोजित 27वीं कांफ्रेंस ऑफ पार्टीज (सीओपी27) के दौरान विचार-विमर्श का एक प्रमुख केन्‍द्र भी रहा। जलवायु परिवर्तन के बढ़ते प्रभाव, फसल का घटता रकबा, जैव-विविधता को नुकसान, अपर्याप्‍त भोजन...

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मौसम विभाग की रिपोर्ट ; पांचवां सबसे गर्म साल रहा 2022

भारत में मौसमी घटनाओं के कारण वर्ष 2022 में 2,227 लोगों की जाने चली गई। सबसे अधिक मौतें बिहार राज्य (418) से हुई हैं। उसके बाद असम से 257, उत्तर प्रदेश से 201, ओडिशा से 194 और महाराष्ट्र के 194 लोगों की जीवन लीला मौसमी कारकों के कारण समाप्त हो गई। मौसम विभाग की रपट के अनुसार; इसके पीछे की वजहों को देखें तो सबसे बड़ा कारक आकाशीय बिजली और आंधी–तूफान है।...

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