कोई और देश यहां भूख मिटाने नहीं आयेगा. संविधान में भी कहा गया है कि लोगों की भूख मिटाना सरकार का दायित्व है. ऐसे में भूखे लोगों की उपेक्षा कर अनाज का निर्यात अपराध ही है. देश में बंपर फसल को देखते हुए अनुमान है कि आगामी एक जून तक गेहूं और धान का भंडार करीब 7.5 करोड़ टन का हो जायेगा. दूसरी ओर देश में 32 करोड़ लोग आज भी...
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इस प्रतिबंध के बड़े खतरे- योगेन्द्र यादव
बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर के कार्टून पर मचा हंगामा पिछले हफ्ते भर से एक विडंबना की शक्ल में मेरी सोच से लगातार टकरा रहा है. राष्ट्रीय पाठय़पुस्तकों में शायद पहली बार आंबेडकर को भारतीय गणतंत्र के प्रमुख संस्थापकों के तौर पर दिखाने की कोशिश की गयी थी. लेकिन, संसद में इस कोशिश पर ही इस दलील के साथ हमला बोला गया कि किताब में शामिल एक कार्टून उनका अपमान करता है....
More »झारखंड: संगीनों पर सुरक्षित गांव- चंद्रिका की रिपोर्ट
यह उन लोगों की कहानियां हैं, जो आजादी, इंसाफ और शांति के साथ जीना चाहते हैं. अपने गांव में खेतों में उगती हुई फसल, अपने जानवरों, अपनी छोटी-सी दुकान और अपने छोटे-से परिवार के साथ एक खुशहाल जिंदगी चाहते हैं. लेकिन यह चाहना एक अपराध है. अमेरिका, दिल्ली और रांची में बैठे हुक्मरानों ने इसे संविधान, जनतंत्र और विकास के खिलाफ एक अपराध घोषित कर रखा है. उनकी फौजें गांवों...
More »छुआछूत अब भी जारी है....
अनदेखी और उपेक्षा के बीच छुआछूत का बरताव जारी है और देश में अस्पृश्यता की समस्या मौजूद है। यह लाखों लोगों के लिए उम्र भर दुःख और अपमान के बीच रहने और जीने का मामला है। इसकी कल्पना बरतर सामाजिक हालातों में जीने वाले नहीं कर सकते लेकिन जैसा कि गुजरे 14 अप्रैल, 2012 से शुरु हुए अनुच्छेद 17 अभियान के अंतर्गत इंडिया अनहर्ड द्वारा जारी 22 छोटे और आसानी...
More »अन्न स्वराज- वंदना शिवा
भोजन का अधिकार जीने के अधिकार से जुड़ा हुआ है और संविधान का अनुच्छेद 21 सभी नागरिकों को जीने का अधिकार प्रदान करता है। इस लिहाज से प्रस्तावित खाद्य सुरक्षा विधेयक स्वागतयोग्य है। पिछले दो दशकों में भारत में भूख एक बड़ी समस्या के रूप में उभरी है। 1991 में जब आर्थिक सुधार कार्यक्रम शुरू किए गए थे, तब प्रति व्यक्ति भोजन की खपत 178 किलोग्राम थी, जो 2003 में...
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