कोई और देश यहां भूख मिटाने नहीं आयेगा. संविधान में भी कहा गया है कि लोगों की भूख मिटाना सरकार का दायित्व है. ऐसे में भूखे लोगों की उपेक्षा कर अनाज का निर्यात अपराध ही है. देश में बंपर फसल को देखते हुए अनुमान है कि आगामी एक जून तक गेहूं और धान का भंडार करीब 7.5 करोड़ टन का हो जायेगा. दूसरी ओर देश में 32 करोड़ लोग आज भी...
More »SEARCH RESULT
बुजुर्गों के लिए इज्जत की जिन्दगी -आईए, एक अभियान का हिस्सा बनें
बुजुर्गों की जीवन-संध्या पूरी गरिमा और बिना किसी अभाव के बीते- यह हर सभ्य समाज का नैतिक दायित्व है। बुजुर्गों के प्रति इसी दायित्व-भाव से पेंशन परिषद् दिल्ली में जन्तर-मन्तर पर अगामी 7 मई से 11 मई(2012) तक एक अभियान के तहत धरने का आयोजन कर रहा है। धरने के आयोजन के पीछे मकसद एकदम सरल और सहज है, और इस मकसद को पूरा करने का वक्त अब आ चुका है। आगे की पंक्तियों को...
More »इन बच्चों का क्या कसूर?- हर्षमंदर
गरीबों के बच्चे मवेशी चराते हैं और चटाई बुनते हैं, वे शहर के कूड़ागाहों और ट्रैफिक सिगनल्स पर पाए जाते हैं, ईंट-भट्टे और कोयला खदानें आमतौर पर उनके काम करने की जगहें होती हैं। जब हमारे बच्चे स्कूलों में पढ़ाई करने जाते हैं, तब गरीबों के बच्चे रोजी-रोटी के लिए मशक्कत कर रहे होते हैं। लेकिन बड़ी अजीब बात है कि हमने महज इस संयोग के आधार पर इन बच्चों की इस...
More »किसान ने किया करोड़ों के घोटाले का पर्दाफाश, दर्ज हुई एफआईआर
लखनऊ। सूचना के अधिकार के तहत उत्तर प्रदेश बीज विकास निगम में सामने आए 50 करोड़ रुपये से अधिक के घोटाले के बाद सोमवार को निगम के चार अधिकारियों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है। लखनऊ की महानगर कोतवाली में बीज विकास निगम के लखनऊ के परियोजना अधिकारी सुरेंद्र प्रताप सिंह, परियोजना अधिकारी बरेली राम कुमार वर्मा, विपणन अनुभागाध्यक्ष हरि किशोर प्रसाद व उप मुख्य वित्तीय अधिकारी पृथ्वीराज मनचंदा के खिलाफ...
More »किशोर आबादी के कुछ अनजाने तथ्य - यूनिसेफ की नई रिपोर्ट
दुनिया में किशोर उम्र के लोगों की तादाद 1 अरब 20 लाख है लेकिन आबादी के इतने बड़े हिस्से के रोजमर्रा की जिन्दगी के बारे में- उसके आस-निरास, आशा-आकांक्षा और उसके सामने खड़ी बाधाओं के बारे में हमारी जानकारी कितनी है ? यूनिसेफ की नई रिपोर्ट प्रोग्रेस फॉर चिल्ड्रेन- अ रिपोर्टकार्ड ऑन एडोलेसेंट का निष्कर्ष है- “ बहुत कम ।” मिसाल के लिए भारत के बारे में ही सोचें। विज्ञापनों की...
More »