SEARCH RESULT

Total Matching Records found : 1588

राजनीति में भ्रष्टाचार के साथ ही बढ़ता गया काला धन-- सुरेन्द्रकिशोर

ब्रिटिश अर्थशास्त्री कैलडोर ने 1956 में यह बताया था कि भारत में काला धन सकल घरेलू उत्पाद का 4-5 प्रतिशत है. वांचू कमेटी के अनुसार 1970 में करीब सात प्रतिशत था. एक अध्ययन के अनुसार 1985 में यह जीडीपी का 18-20 प्रतिशत हो गया. एक अन्य अध्ययन के अनुसार 1995-96 में यह बढ़कर 40 प्रतिशत हो गया था. 2005-6 में यह 50 प्रतिशत तक पहुंच गया....

More »

कृषि आमदनी को दोगुना कर रहीं मधुमक्खियां

मधुमक्खियां सिर्फ शहद ही नहीं बनातीं, बल्कि कृषि व बागवानी की फसलों की उत्पादकता में चार चांद भी लगा रही हैं। "मधुसंदेश" नामक पायलट परियोजना से अनार, सेब और प्याज जैसी फसलों की उत्पादकता बढ़ाने में सफलता मिली है। इसे अब बाकी जगहों पर लागू करने पर विचार किया जा रहा है। परियोजना के नतीजों के मुताबिक पराग वाली फसलों की उत्पादकता में 40 से 80 फीसद तक की वृद्धि हुई...

More »

मिटाना होगा तीन तलाक का अभिशाप - कुलदीप नैयर

कट्टरपंथी संगठन जमात-ए-इस्लामिया की एक साप्ताहिक पत्रिका है - 'रेडियंस"। इसने अपने पहले पन्न्े पर एक लेख छापा, जो कहता है कि 'पहले तुम हमें अपना हिसाब दो।" साफ तौर पर यहां 'तुम" से आशय हिंदुओं से है। हिंदू पर्सनल लॉ देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू के हस्तक्षेप के बाद अस्तित्व में आया था। विवाह जीवन भर के लिए पवित्र-बंधन होता था और किसी बीमार या नि:शक्त को...

More »

विकास भी चाहिए और रोजगार भी-- एन के सिंह

पिछला एक वर्ष भारत के लिए उथल-पुथल भरा रहा है। अपनी संप्रभुता, सीमाओं की सुरक्षा के साथ-साथ राष्ट्रवाद की आक्रामक अभिव्यक्तियों से उसे जूझना पड़ा है। वहीं, इस क्षेत्र की भू-राजनीति अब भी अनिश्चित और अस्थिर बनी हुई है। चीन की विकास दर घट रही है, लिहाजा अपने आर्थिक रसूख को कायम रखने के लिए वह नए-नए तरीके अपना रहा है। दक्षिण चीन सागर विवाद पर ट्रिब्यूनल के फैसले को...

More »

नदियां अविरल बहेंगी या नहीं हमें तय करना है-- श्रीश चौधरी

ये नदियां नहीं बहेंगी, हम दशाश्वमेध, द्वारकाधीश या केशी घाट पर स्नान नहीं कर पायेंगे, उनका जल पीकर अपने शरीर के घाव एवं मन का पाप नहीं धो पायेंगे, वहां जाकर भी हम आरओ के पानी में स्नान करेंगे और बिस्लेरी ही पियेंगे, तो फिर इन मंदिरों का एवं वैशाख, कार्तिक एवं माघ महीने में वहां मास भर रहने का कोई अर्थ नहीं रह जाता है. पढ़िए अंतिम कड़ी. उन्नीसवीं...

More »

Video Archives

Archives

share on Facebook
Twitter
RSS
Feedback
Read Later

Contact Form

Please enter security code
      Close