एक बार जीन बाहर आ जाए तो इसे रोकने का कोई रास्ता नहीं है. इसका लंबे समय से डर था. सामाजिक कार्यकर्ता और सजग वैज्ञानिक इसकी चेतावनी दे चुके थे, किंतु सरकार ने आंखें मूंदे रखीं. अब डर सच साबित हो चुका है. इसने पर्यावरण प्रदूषण के एक और विनाशकारी रूप-जीन प्रदूषण पर चिंता बढ़ा दी है. जीएम धान दिल्ली के एक अनुसंधान संगठन 'जीन कैंपेन' ने पता लगाया है कि बीज कंपनी...
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साठ खदानों के परिचालन पर लगी रोक
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। खनिज संपदा वाले झारखंड, उड़ीसा, गुजरात, आंध्र प्रदेश तथा कर्नाटक में इंडियन ब्यूरो आफ माइंस [आईबीएम] ने 60 खदानों के परिचालन पर रोक लगा दी है। यह पाबंदी प्रस्तावित योजना के विरुद्ध खनन करने पर लगाई गई है। आईबीएम के विशेष कार्यबल-एक ने मार्च, 2010 तक विभिन्न राज्यों की 106 खदानों में दौरा कर खनन कार्यो का जायजा लिया। जांच में पता चला कि इनमें से आधी से ज्यादा संख्या में खदानों...
More »चिपको आंदोलन: याद रखेंगी पीढियां
नई दिल्ली। पेड़ों को लेकर लोग मरने मारने पर उतारू हो जाते हैं लेकिन चिपको और अप्पिको आंदोलन में हरियाली के दूतों के बलिदान की तत्परता को पीढि़यां याद रखेंगी। ऐसा जनजागरण जिसमें विशेष तौर पर स्त्री शक्ति का प्रदर्शन हुआ था। सुंदरलाल बहुगुणा के नेतृत्व में चिपको आंदोलन ने लोगों को वन रक्षा की प्रेरणा दी और सरकार को भी वनों की कटाई रोकने को विवश कर दिया। उत्तर भारत के चिपको आंदोलन से...
More »रेड्डी बंधुओं को मिली खनन की अनुमति
नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट ने कर्नाटक के रेड्डी बंधुओं करूणाकर रेड्डी और जनार्दन रेड्डी को एक बड़ी राहत दी है। कोर्ट ने आंध्र प्रदेश के अनंतपुर में खनन की इजाजत प्रदान कर दी है। कोर्ट ने अपने निर्देश में कहा है कि रेड्डी बंधु कनार्टक की सीमा से 150 किलोमीटर तक खनन कर सकते हैं। खनन केवल गैर विवादित क्षेत्र में ही होगा। विवादित क्षेत्र में किसी प्रकार का खनन नहीं होगा। मुख्य न्यायाधीश केजी बालाकृष्णन की अध्यक्षता...
More »किसानों की आत्महत्याः एक 12 साल लंबी दारूण कथा
कुछ लोगों के लिए किसानी मुनाफे का धंधा हो सकती है, लेकिन देश की बहुसंख्यक आबादी के लिए यह घाटे का सौदा बना दी गई है. न सिर्फ घाटे का सौदा, बल्कि मौत का सौदा भी. और यह सिर्फ इसलिए किया जा रहा है, क्योंकि खेती से महज कुछ लोगों का मुनाफा सुनिश्चित रहे. यही वजह है कि खेतिहरों के कर्जे की माफी का फायदा भी आम खेतिहरों को नहीं मिला बल्कि बड़े किसानों को...
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