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बकरी चराने वाली बनीं लाखों बच्चों की 'प्रेरणा'

मुजफ्फरपुर. बिहार के मुजफ्फरपुर जिले के पटियासा गांव में एक निर्धन परिवार में जन्मी अनीता ने मधुमक्खी पालन का व्यवसाय अपनी और परिवार की गरीबी दूर करने के लिए बहुत छोटे पैमाने पर शुरू किया था लेकिन आज वह 'हनी गर्ल' बन गई हैं। उनकी कामयाबी की कहानी न केवल स्कूली बच्चों को पढ़ाई जा रही है, बल्कि उनके नाम पर मधु ब्रांड लाने की भी तैयारी है।   बोचहा प्रखंड के एक पिछड़े गांव...

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तमिलनाडु की कपड़ा फैक्ट्रियों में दलित लड़की का एक दिन...- (नई रिपोर्ट)

सभी लड़कियों की उम्र 11-14 साल के बीच, ज्यादतर का जन्म दलित परिवार में , जीविका के लिए जमीन नहीं, सो मां-बाप दिहाड़ी मजदूर, सर पर कर्ज का बोझ, इसलिए पढ़ाई से ज्यादा शादी और उससे भी ज्यादा दहेज की चिन्ता। और, इस सबके बीच कपड़ा तैयार करने वाली फैक्ट्रियों में खास लड़कियों की नियुक्ति की एक आकर्षक-योजना सुमंगली स्कीम। स्कीम का वादा--  अच्छा वेतन, रहने-ठहरने का पुरसुकून इंतजाम और...

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पढ़ाएं या घर-घर जाकर लोगों का फोटो खोजें

रांची। जिले के लगभग 620 प्राथमिक शिक्षक इन दिनों बूथ लेवल ऑफिसर (बीएलओ) के कार्य से काफी परेशान हैं। मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी के निर्देश पर प्रतिनियुक्त इन शिक्षकों को निर्वाचक डाटाबेस संधारित करने का निर्देश दिया गया है। इसके तहत इन्हें घर-घर जाकर फोटो मतदाता सूची में फोटो और प्रविष्टियों की जांच करनी है। जिन मतदाताओं का फोटो नहीं है, उनका फोटो लेना है और सभी मतदाताओं का मोबाइल नंबर लेकर...

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तली पर तालीम- अनुपमा(तहलका)

झारखंड में पिछले कुछ दिनों से शिक्षा पर बात हो रही है. आंदोलन हो रहे हैं. प्रदर्शन हो रहे हैं. इंटर का परीक्षा परिणाम आने के बाद बवाल मचा हुआ है. लेकिन यह सब आश्चर्य की बात नहीं. झारखंड में पिछले दस साल में शिक्षा की जो गति रही है उसकी परिणति ऐसी ही दुर्गति के रूप में होनी थी. अनुपमा की रिपोर्ट जिस राज्य में एक निर्दलीय विधायक मुख्यमंत्री बन...

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छत्तीसगढ़ में एसपीओ और सुप्रीम कोर्ट - कनक तिवारी

जुलाई 2011 को सुप्रीम कोर्ट के माननीय न्यायमूर्ति सेवानिवृत्त होते बी. सुदर्शन रेड्डी और सुरेन्दर सिंह निज्जर की पीठ ने ऐतिहासिक फैसला देते हुए छत्तीसगढ़ शासन के उन आदेशों को निरस्त कर दिया है, जिनके अनुसार बस्तर में नक्सलियों से निपटने के लिए विशेष पुलिस कर्मी (एसपीओ) को भरती कर मजबूर, गरीब और लगभग अशिक्षित आदिवासी युवकों के हाथों में कथित आत्मसुरक्षा के नाम पर बंदूकें थमा दी गई थीं....

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