‘ मजदूरी का भुगतान ना होने और भुगतान में देरी के कारण श्रमिकों के बीच मनरेगा की साख खत्म हो गई है.' मध्यप्रदेश में मनरेगा के क्रियान्वयन की कड़वी सच्चाई बयान करने वाला यह वाक्य ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा गठित कॉमन रिव्यू मिशन(सीआरएम) की हाल ही में जारी एक समीक्षा रिपोर्ट का है.( रिपोर्ट के लिए यहां क्लिक करें) मनरेगा के असरदार क्रियान्वयन में फंड की कमी को बड़ी बाधा बताते हुए...
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किसानों को पांच लाख रूपए तक ब्याज मुक्त ऋण-रमन सिंह
रायपुर(ब्यूरो)। राज्य के किसानों को खेती के लिए पांच लाख रूपए तक ब्याज मुक्त अल्पकालीन कृषि ऋण दिया जाएगा। मुख्यमंत्री डा.रमनसिंह ने अपने नियमित रेडियो वार्ता कार्यक्रम रमन के गोठ में यह घोषणा की है। उन्होंने कहा कि ब्याज अनुदान की पात्रता के लिए प्रति हेक्टेयर, असिंचित भूमि पर 20 हजार स्र्पए और सिंचित भूमि पर 25 हजार स्र्पए की पूर्व प्रचलित ऋण सीमा को समाप्त कर दिया गया है।...
More »सरकार की पहल से गरीबी कम होगी: अरविन्द पनगढ़िया
जयपुर: जाने -माने अर्थशास्त्री तथा नीति आयोग के उपाध्यक्ष प्रो. अरविन्द पनगढिया ने आज कहा कि किसी भी सरकार का आकलन उसके कार्यकाल के दौरान हुई प्रगति पर आधारित होना चाहिए. उन्होंने कहा कि मोदी सरकार की पहल से आने वाले वर्षो में आर्थिक वृद्धि की रफ्तार और तेज होगी और गरीबी कम होगी. उन्होंने कहा कि वर्तमान सरकार के ‘मेक इन इंडिया कार्यक्रम' के समक्ष कई चुनौतियां हैं. इसके...
More »कभी अबरख से चमकता था, अब ढीबरा तले दबा कोडरमा-- जीवेश
कोडरमा शहर व मुख्य पथ से महज छह किलोमीटर हट कर है छतरबर का इलाका. इस घनी बस्ती से सट कर शुरू होता है जंगली क्षेत्र. झाड़ियोंवाले इस जंगल में थोड़ी दूर जाने पर ही सड़क के किनारे सुरंगें दिखनी शुरू हो जाती हैं. इन सुरंगों से जमीन के अंदर घुस ढीबरा (अबरख का स्क्रैप) चुनते हैं गांववाले. झाड़ियों के बीच स्थित पगडंडी पर तीर का लाल (रात में...
More »शहरीकरण की विसंगतियां--- रमेश कुमार दूबे
शहरीकरण को लेकर सरकार का नजरिया यह है कि इस पर सियापा करने के बजाय इसे मौके के रूप में देखा जाना चाहिए। उसके मुताबिक शहरों में गरीबी दूर करने की ताकत होती है और हमें इस ताकत को और आगे बढ़ाना चाहिए ताकि आर्थिक समृद्धि का स्वत: प्रसार हो। सुख-सुविधाओं की मौजूदगी के चलते शहर सदा से मनुष्य के आकर्षण के केंद्र रहे हैं। आज की तारीख में तो ये...
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