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असमानता तोड़ देगी देश को- डा. भरत झुनझुनवाला

बढ़ती असमानता समाज के लिए हानिकारक होने के साथ-साथ आर्थिक विकास के लिए भी हानिप्रद है. आम नागरिक जब अमीर को कोसता है, तो उसकी आंतरिक ऊर्जा नकारात्मक हो जाती है. वह हिंसक प्रवृत्ति का हो जाता है. चुनाव के इस माहौल में सभी पार्टियां गरीबों को लुभाने में लगी हुई हैं. कांग्रेस का कहना है कि उसने मनरेगा और खाद्य सुरक्षा लागू करके गरीबों को राहत पहुंचायी है. भाजपा...

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भूख और गरीबी उन्मूलन होना चाहिए एजेंडा में शीर्ष पर : भारत

संयुक्त राष्ट्र। भारत ने कहा है कि 2015 के बाद का विकास एजेंडा भूख और गरीबी उन्मूलन पर केंद्रित होना चाहिए और इसके अलावा इसमें खाद्य सुरक्षा और आधुनिक ऊर्जा सेवाओं की सार्वभौमिक पहुंच को प्राथमिकता दी जानी चाहिए। विदेश मंत्री सलमान खुर्शीद ने कल यहां संयुक्त राष्ट्र महासभा के इतर आयोजित उच्च स्तरीय राजनीतिक मंच की बैठक को संबोधित करते हुए कहा कि ‘‘वर्ष 2015 के बाद का विकास एजेंडे...

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फेरीवालों को सम्मान का हक है- सुधांशु रंजन

दैनिक जरूरतों की वस्तुएं घर के निकट उपलब्ध करानेवाले मेहनतकशों का हर दिन असुरक्षा और अपमान के बीच बीतता है. उनके दु:ख-दर्द को देखते हुए उनके हकों को कानूनी जामा पहनाने का एक क्रांतिकारी कदम उठाया गया है. भारत में 90 फीसदी से अधिक लोग असंगठित क्षेत्रों में काम करते हैं. उनकी कोई सामाजिक सुरक्षा नहीं होती. इनमें एक बड़ा वर्ग फेरीवालों का है, जो सड़कों के किनारे और गलियों में...

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आरटीआइ से पंचायतें मांगें अधिकार

मित्रो,                                                                                                                                                                              आप पंचायती राज संस्थाओं के प्रतिनिधि हैं. जनता ने आपको इसलिए चुना कि आप पंचायत, प्रखंड और जिला स्तर पर उनकी बुनियादी समस्याओं को दूर करने के लिए योजनाएं बनाएं, उनका कार्यान्वयन करें और उन पर नियंत्रण रखें. संविधान के 73वें संशोधन ने आपको वही ताकत दी है, जो अपने क्षेत्र में विधायकों और सांसदों को मिला हुआ है. निचले स्तर पर आप पंचायत सरकार हैं. पंचायत सरकारें सत्ता के लोकतांत्रिक ढांचे की...

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यह गरीबी खत्म करने की रेखा नहीं- मिहिर शाह(योजना आयोग के सदस्य)

 गरीबी के बारे में योजना आयोग के नवीनतम आकलन पर बड़ी चीख-पुकार मची। यह हाय-तौबा जितनी तेज थी, समझ और विवेक उसी अनुपात में कम। सबसे निंदनीय थे वे राजनेता, जिन्होंने आम आदमी को चोट पहुंचाने वाली बातें कहीं। जरूरी यह है कि हम ये समझने का प्रयास करें कि सुरेश तेंदुलकर की गरीबी रेखा वास्तव में क्या बताती है? सुरेश तेंदुलकर देश के बेहतरीन अर्थशास्त्रियों में से एक थे। उन्हीं...

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