लंदन. विकसित देशों को राहत देते हुए एक रिपोर्ट में कहा गया है कि सबसे ज्यादा कार्बन उत्सर्जन करने वाले देशे भारत और चीन हैं। कथित तौर पर कार्बन का भारी उत्सर्जन करने वाले पश्चिमी देशों की बजाय भारत और चीन पर यह ठीकरा फोड़ा गया है। डच की पर्यावरण रिपोर्ट में कहा गया है कि विकसित देशों की तुलना में इन दोनों देशों के कार्बन उत्सर्जन को कम करने...
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तपती धरती को चाहिए पर्यावरण रक्षा
नई दिल्ली [भारत डोगरा]। वैश्विक स्तर पर बढ़ते जा रहे तापमान के मूल्याकन से आसार नजर आ रहे हैं कि वर्ष 2010 रिकार्ड तोड़ गर्मी का साल साबित हो सकता है। भारत के एक बड़े क्षेत्र के लिए भी यह वर्ष रिकार्ड तोड़ गर्मी का वर्ष बनता जा रहा है। बीच में भीषण गर्मी से भले ही थोड़ी-बहुत राहत मिले, लेकिन कुल मिलाकर प्रवृत्ति बढ़ते तापमान की ओर है। अनेक...
More »तोता-मैना को निगल रही ग्लोबल वार्मिग
मुजफ्फरपुर [सुजीत कुमार]। लोक कहानियों के महत्वपूर्ण पक्षी पात्र तोता और मैना अब कविता-कहानियों में ही मिलेंगे। ग्लोबल वार्मिग जिन पक्षियों की प्रजाति को निगल रही है, उनमें तोता पहले नंबर पर है। कौवा दूसरे नंबर और घरों में फुदकने वाली मैना तीसरे नंबर पर है। ग्रीन गैस हाउस के बढ़ते प्रभावों ने तोता-मैना जैसे पक्षियों के अस्तित्व पर खतरा पैदा कर दिया है। खेत-खलिहानों और पेड़-पौधों पर फुदकने वाले ये पक्षी बहुत तेजी से...
More »धनी देश निभाएं जलवायु प्रतिबद्धता
ब्रुसेल्स। संयुक्त राष्ट्र के एक अधिकारी ने कहा है कि धनी देशों को जलवायु परिवर्तन के मुद्दे पर विकासशील देशों को मदद मुहैया कराने की अपनी प्रतिबद्धता निभानी चाहिए, ताकि ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन में कमी लाने के लिए वैश्विक समझौते पर प्रगति हो सके। यूरोपीय संघ, अमेरिका और अन्य धनी देशों ने अगले तीन सालों में गरीब देशों को 30 अरब डालर की सहायता देने का वायदा किया है, ताकि वे ग्लोबल वार्मिग...
More »पर्यावरण की राजनीति और धरती का संकट
खुद मनुष्य ने अपनी भावी पीढ़ियों की जिंदगी को दांव पर लगा दिया है। दुनिया भर में चिंता की लकीरें गहरी होती जा रही हैं। सवाल ल्कुल साफ है- क्या हम खुद और अपनी आगे की पीढ़ियों को बिगड़ते पर्यावरण के असर से बचा सकते हैं? और जवाब भी उतना ही स्पष्ट- अगर हम अब भी नहीं संभले तो शायद बहुत देर हो जाएगी। चुनौती हर रोज ज्यादा बड़ी होती...
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