‘ एक समंदर ने हंसकर कहा हमें पानी पिला दीजिए '-यह सिर्फ कविता की पंक्ति नहीं बल्कि देश के पूर्वोत्तर के हिस्से के लिए अब एक सच्चाई है. एक नये अध्ययन में सामने आया है कि भरपूर बारिश के लिए मशहूर पूर्वोत्तर में शुष्क और अर्द्ध-शुष्क करार दिए गए पश्चिमी भारत की तुलना में सूखा पड़ने की आशंका दोगुना ज्यादा है.(देखें लिंक) अध्ययन के अनुसार साल 2000 से 2014 के बीच 15...
More »SEARCH RESULT
क्या जरूरी है कि नींद झटके से ही खुले? - गोपालकृष्ण गांधी
मैंने कक्षा में सिंधु घाटी सभ्यता पर लेक्चर खत्म किया ही था और सोच रहा था कि क्या मुझे अगली क्लास में सिंधु घाटी सभ्यता के पतन के कारणों (जिनमें भूकंप भी शामिल है) पर बात करनी चाहिए कि तभी मेरी कुर्सी, डेस्क, लैपटॉप सभी डगमगाने लगे। वास्तव में, ऐसा लग रहा था, जैसे पूरी दुनिया ही डोल रही हो। चंद मिनटों बाद मैंने इस भूकंप के बारे में और...
More »मांस के कारोबार पर सवाल क्यों नहीं? - आलोक मेहता
हमारे एक पारिवारिक मित्र मूलत: गुजराती ब्राह्मण हैं। वे शुद्ध शाकाहारी हैं। जनेऊ पहनकर निष्ठा के साथ पूजा-पाठ करते हैं। भारत सरकार के निर्यात प्रोत्साहन संस्थान में वे वर्षों से एक महत्वपूर्ण पद पर काम करते रहे हैं। लेकिन मित्र-परिवार के साथ बैठकों में उनकी तरक्की, वेतन-भत्तों की बढ़ोतरी, निरंतर दुनियाभर के देशों की यात्राओं की मीठी बातों के साथ एक मुद्दे पर उन्हें चिढ़ाया जाता है - 'अरे, आपकी...
More »स्वच्छता मिशन-- मैसूर अव्वल, दिल्ली शीर्ष दस में भी नहीं
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले साल गांधी जयंती पर देश में स्वच्छ भारत अभियान की शुरुआत की थी। इस मिशन के एक साल पूरे होने पर जहां राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली स्वच्छता के मामले में देश के टॉप-10 शहरों में भी जगह नहीं बना पाई, वहीं कर्नाटक का मैसूर अव्वल घोषित हुआ है। यूपी-बिहार लक्ष्य से दूर : मिशन का पहला साल पूरा होने पर गुरुवार को शहरी विकास मंत्री वेंकैया नायडू...
More »हमारी संवेदना का अकाल-- योगेन्द्र यादव
अकेले नहीं आता अकाल. पानी, प्रकृति और समाज के देशज चिंतक अनुपम मिश्र के लेख का यह शीर्षक अपने आप में बहुत कुछ कह जाता है. कुदरत सूखा देती है, अकाल नहीं. हर चौथे-पांचवें साल हमारे देश में बारिश की कमी होती है. लेकिन जरूरी नहीं कि इससे अन्न की कमी हो, पीने के पानी का संकट हो, इंसानों और मवेशियों की जान पर बन आये, खेती-किसानी से जुड़े हर...
More »