-डाउन टू अर्थ, शोधकर्ताओं ने इस बात का पता लगाया है कि समुद्री पक्षी किस कदर प्लास्टिक का शिकार हो रहे हैं। सात देशों के 18 संस्थानों की एक अंतरराष्ट्रीय शोध टीम ने दुनिया भर के 32 समुद्री पक्षियों की प्रजातियों के नमूने जमा कर उनका विश्लेषण किया। शोध टीम ने पाया कि 52 प्रतिशत पक्षियों ने न केवल प्लास्टिक निगला था, बल्कि उनके शरीर में प्लास्टिक के केमिकल भी पाए गए। अध्ययन...
More »SEARCH RESULT
स्वास्थ्य की ‘जड़ें’ : हल्दी से तीन गुणा अधिक कमा रहा है यह किसान
-डाउन टू अर्थ, भारतीयों ने हल्दी की एंटीवायरल खूबियों के चलते वर्ष 2020 में इसका खासा सेवन किया, इसकी कोरोना वायरस (कोविड-19) महामारी के दौरान इसे फायदेमंद बताया जा रहा था। खाना पकाने में इस्तेमाल के अलावा, लोगों ने काढ़े के रूप में इसका जमकर सेवन किया। लॉकडाउन के दौरान बाजार में शुद्ध शाकाहारी हल्दी के लैटेस से लेकर चिया टरमरिक कुकीज और डिटॉक्स चाय जैसे कई उत्पाद बढ़ गए हैं। हालांकि, हल्दी...
More »न्यूनतम मज़दूरी बढ़ने से रोजगार कम नहीं होता : जानिए इस साल के अर्थशास्त्र के नोबेल की कहानी
-न्यूजक्लिक, समाज के सबसे महत्वपूर्ण सवालों का जवाब बिना किसी छेड़छाड़ के अर्थशास्त्र कैसे दे? यही इस साल के अर्थशास्त्र में मिलने वाले नोबेल के रिसर्च का केंद्र बिंदु है। इस साल का अर्थशास्त्र का नोबेल डेविड कार्ड, जोशुआ एंग्रिस्त और गुइडो इम्बेंस को देने का ऐलान किया गया है। 65 साल के डेविड कार्ड मूल रूप से कनाडा के हैं और अभी अमेरिका के बर्कली में कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय में प्रोफेसर हैं।...
More »पेगासस में निर्वासित तिब्बती सरकार के अधिकारियों का नाम आने से भारत के प्रति बढ़ा संदेह
-कारवां, जुलाई में 17 अंतर्राष्ट्रीय मीडिया संस्थानों ने अपनी एक संयुक्त पड़ताल, जिसे उन्होंने पेगासस प्रोजेक्ट कहा है, में खुलासा किया कि इजराइली कंपनी एनएसओ द्वारा विकसित पेगासस स्पाइवेयर का इस्तेमाल दुनिया भर के 50000 फोन नंबरों की जासूसी करने के लिए किया गया है. भारत में ऐसे लोगों की सूची में पत्रकार, नागरिक अधिकार कार्यकर्ता, नेता और एक पूर्व चुनाव आयुक्त शामिल हैं. लेकिन हिमाचल प्रदेश की पहाड़ियों में एक और...
More »वायु प्रदूषण को रोकने के लिए 34 फीसदी देशों में नहीं हैं जरूरी कानून
-डाउन टू अर्थ, दुनिया के करीब एक-तिहाई देशों में वायु प्रदूषण को रोकने के लिए जरूरी कानून नहीं हैं। वहीं जिन देशों में इस तरह के कानून मौजूद भी हैं, वहां इनमें और विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) द्वारा जारी मानकों में काफी अंतर है। यह कानून काफी हद तक डब्ल्यूएचओ द्वारा जारी गाइडलाइन्स से मेल नहीं खाते हैं। वहीं करीब 31 फीसदी देश ऐसे हैं जिनके पास इन वायु गुणवत्ता मानकों...
More »