चारों तरफ से पड़े दबाव के कारण केंद्र सरकार ने रिटेल में एफडीआई का फैसला फिलहाल भले ही मुलतवी कर दिया है, लेकिन आज नहीं, तो कल वह इसे लागू करेगी ही। प्रासंगिक सवाल यह है कि बहुराष्ट्रीय कंपनियों को बुलाने वाली सरकार को आज रेहड़ी-पटरी वालों के प्रति अपनी जिम्मेदारी की याद भला कौन और कैसे दिलाए। पर सरकार को यह याद दिलाना जरूरी है, क्योंकि अर्थव्यवस्था में रोजगार सृजन के...
More »SEARCH RESULT
‘पहुंच’ की अर्थव्यवस्था- सुनील खिलनानी
कॉरपोरेट लॉबिस्ट नीरा राडिया के टेप और विकिलीक्स के खुलासे पिछले एक दशक में मजबूती से सामने आए दो बुनियादी और परस्पर संबंधित राजनीतिक नजरिये की पुष्टि करते हैं। इनमें एक वैश्विक है और दूसरा स्थानीय। इनमें से पहला सत्ता की प्रकृति के बारे में है। आधुनिक विश्व में अमेरिकी सैन्य शक्ति और उसकी व्यापारिक ताकत के अतिरिक्त सत्ता सूचनाओं पर ज्यादा टिकी है, जो हथियार या खजाने पर नियंत्रण रखती...
More »मंदी की आहट- परंजय गुहाठाकुर्ता
देश की अर्थव्यवस्था जिस तेजी से नीचे जा रही है, उसके कई निहितार्थ हैं। अभी डॉलर के मुकाबले रुपया रिकॉर्ड गिरावट तक पहुंच गया है। गिरते-गिरते रुपया पहली बार ५३ के स्तर तक पहुंचा है। औद्योगिक उत्पादन का सूचकांक (आईआईपी) भी गिरकर अक्तूबर में -५.१ प्रतिशत पर आ गया है। औद्योगिक उत्पादन में शामिल सभी क्षेत्रों में कमोबेश गिरावट देखी गई है। इतना ही नहीं, इस वर्ष देश का...
More »भ्रष्टाचार के रास्ते- कुमार प्रशांत
जनसत्ता 13 दिसंबर, 2011: जयप्रकाश नारायण ने 1974 में, जब वे कई सारे सवालों के साथ-साथ भ्रष्टाचार का भी सवाल उठा कर सारे देश में आंदोलन खड़ा करने में लगे थे, एक गहरा और मार्मिक लेख लिखा था। इसका शीर्षक था:‘क्या नैतिक ताने-बाने के बिना भी कोई देश बना रह सकता है?’ इसमें उन्होंने मुख्य रूप से दो बातें कही थीं। एक,भ्रष्टाचार ऊपर से नीचे की तरफ चलता है। सत्ता-संपत्ति-अधिकार...
More »अमीरी रेखा की जरूरत- सुनील
जनसत्ता 12 दिसंबर, 2011 : कुछ माह पहले जब योजना आयोग के उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह अहलूवालिया ने सर्वोच्च न्यायालय में हलफनामा दिया कि शहरों में बत्तीस रु. और गांवों में छब्बीस रु. प्रतिदिन खर्च करने वालों को गरीबी रेखा से ऊपर माना जाएगा, तो देश के संभ्रांत पढ़े-लिखे लोगों में और मीडिया में खलबली मच गई। अहलूवालिया से लेकर जयराम रमेश तक को सफाई में बयान देने पडे। उन्होंने यह...
More »