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दो दशकों में 9 फीसदी बढ़ी कृषि भूमि, लेकिन प्राकृतिक वनस्पति और जंगलों को चुकानी पड़ी कीमत

-डाउन टू अर्थ, वैश्विक स्तर पर 2003 से 2019 के बीच कृषि भूमि में करीब 9 फीसदी का इजाफा दर्ज किया गया है। इसका मतलब है कि इन 16 वर्षों में कुल कृषि भूमि में करीब 10.2 करोड़ हेक्टेयर की वृद्धि हुई है। 2019 के आंकड़ों को देखें तो दुनिया भर में करीब  124.4 करोड़ हेक्टेयर कृषि भूमि है। यह जानकारी 23 दिसंबर 2021 को जर्नल नेचर फूड में प्रकाशित एक...

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देश भर के डॉक्टरों के प्रदर्शन करने के लिए मजबूर होने की वजह क्या है

-द वायर, भारत में कोरोना वायरस के ओमीक्रॉन वैरिएंट का खतरा तेजी से बढ़ता जा रहा है, लेकिन इन सब के बीच देश के हजारों सरकारी डॉक्टर्स अस्पताल बंद कर विरोध प्रदर्शन करने के लिए मजबूर हैं. उनकी मांग है कि राष्ट्रीय पात्रता परीक्षा-पोस्टग्रैजुएट (नीट-पीजी) पास किए 50,000 एमबीबीएस डॉक्टरों की तत्काल काउंसलिंग कराई जाए. नीट-पीजी की परीक्षा इस साल सितंबर में हुई थी. काउंसलिंग के बाद इन डॉक्टर्स को मेडिकल कॉलेजों में...

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पीएमजेएवाई का सच: कोविड-19 की दूसरी लहर में निजी बीमा कंपनियों ने की मनमानी

-डाउन टू अर्थ, स्वास्थ्य के क्षेत्र में बीमा केंद्रित दृष्टिकोण महामारी के दौरान कितना प्रभावी रहा?  कोरोना काल में बीमाधारकों के अनुभव बताते हैं कि उन्हें वादों के अनुरूप बीमा का लाभ नहीं मिला। ऐसे में क्या सरकार स्वास्थ्य के बुनियादी ढांचे पर फिर से अपना ध्यान केंद्रित करेगी? हम एक लंबी सीरीज के जरिए आपको बीमा के उन अनुभवों और सच्चाईयों से वाकिफ कराएंगे जिसकी सबसे ज्यादा जरूरत जब थी,...

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कोरोना के कहर से लेकर कृषि कानूनों की वापसी तक, ऐसा रहा 2021 का सफर

-द प्रिंट, हैरां हूं दिल को रोऊं या पीटू जिगर को मैं!…जी हां, ज्यादातर वक्त हमारी सासें दुश्वार किये रखकर अस्ताचल की ओर जा रहे वर्ष 2021 को जब भी और जैसे भी याद किया जाये, मिर्जा गालिब की यह पंक्ति जरूर याद आयेगी. यह वर्ष आया तो कोरोना की पहली लहर के दिये जख्म हरे थे. भले ही उसका त्रास कम हो गया था, दूसरी लहर के अंदेशे इतने घने थे...

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नीति आयोग का स्वास्थ्य सूचकांक: नहीं काम आ रहा 'डबल इंजन’, यूपी-बिहार सबसे नीचे

-न्यूजक्लिक, देश ललकारने वाले अंधे नारों से मिलकर नहीं बनता। ना ही कुछ अमीर लोगों के पैसे से बनता है। देश इंसानों से मिलकर बनता है। इसलिए किसी देश की तरक्की का सबसे बड़ा पैमाना वही है जो इंसानों की तरक्की के होते हैं। इसी में से एक पैमाने का नाम है देश का स्वास्थ्य क्षेत्र। इस स्वास्थ्य क्षेत्र को लेकर नीति आयोग की स्वास्थ्य सूचकांक की चौथी रिपोर्ट आई है।...

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