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का बरसा जब कृषि सुखाने...

कहावत है कि का बरसा जब कृषि सुखाने और इस कहावत से सीख लेते हुए मानसून की पिछात बारिश में  मारे खुशी के फूलकर कुप्पा होने से पहले यह सोचना जरुरी है कि आखिर नुकसान कितना हो चुका है। नुकसान हुआ है और भरपूर हुआ है। देश के खेतिहर इलाके के ६० फीसदी हिस्से पर, खासकर उत्तर-पश्चिमी हिस्से में, इस बार रबी की फसल नहीं काटी जा सकेगी और ये...

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विदर्भ- राहत पैकेज के चार साल बनाम ४८ घंटे में पांच आत्महत्याएं

अगस्त महीने के आखिरी दो दिनों के अंदर महाराष्ट्र के विदर्भ इलाके में पांच किसानों ने आत्महत्या की है। आत्महत्या करने वाले किसानों उन्हीं जिलों के हैं जिनके लिए विशेष राहत पैकेज की घोषणा की गई थी। विदर्भ जनआंदोलन सिमिति द्वारा जारी एक प्रेस नोट के अनुसार विदर्भ में अगस्त महीने के आखिरी ४८ घंटों में  सूखे की स्थिति में फसल के मारे जाने से परेशान पांच किसानों ने आत्महत्या...

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कैंसर उगलने वाली धरती

लंदन :अन्न देने वाली धरती अब कैंसर उपजाने लगी है. सीवर एवं औद्योगिक क्षेत्रों के निकट स्थित खेतों की मिट्टी के नमूनों की जांच में कैंसर सहित भयंकर बीमारी पैदा करने वाले निकिल, लैड, क्रोमियम और कैडमियम की मात्रा मानक से एक हजार गुना तक अधिक मिली है. इन तत्वों की अधिकता से सब्जियां तो खूब चमकदार दिखती हैं, मगर रोगों को सीधा आमंत्रण देती है. जैविक खेती के लिए...

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पर्यावरण की राजनीति और धरती का संकट

खुद मनुष्य ने अपनी भावी पीढ़ियों की जिंदगी को दांव पर लगा दिया है। दुनिया भर में चिंता की लकीरें गहरी होती जा रही हैं। सवाल ल्कुल साफ है- क्या हम खुद और अपनी आगे की पीढ़ियों को बिगड़ते पर्यावरण के असर से बचा सकते हैं? और जवाब भी उतना ही स्पष्ट- अगर हम अब भी नहीं संभले तो शायद बहुत देर हो जाएगी। चुनौती हर रोज ज्यादा बड़ी होती...

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हर साल सूखाड अकाल..! कोरैया के किसानों से सीख लीजिए..

गढवा : सूखाड-अकाल भोग रहे झारखंड में एक ऐसा गांव भी जहां किसानों ने अपनी कठोर मेहनत से इंद्रदेव के कोप को नाकाम कर दिया है। गढवा जिला के कौरया गांव के किसानों की खेतों में मकई और धान की फसल लहलहा रही है। यह महज एक पखवारे के परिश्रम का फल है। और अब तो हफ्ते भर से हो रही बारिश ने और भी उम्‍मीदें जगा दी हैं। शायद,...

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