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समावेशी कृषि हो 2022 के लिए विकास का रोडमैप

-रूरल वॉइस, अब देश के नीति निर्माताओं को अभी की जरूरत, वर्तमान संकट का उपाय जैसे शब्दों को नकार कर देश की समस्याओं के लिए स्थायी समाधान तलाशने होंगे। भ्रष्टाचार, निरक्षरता, शिक्षा व्यवस्था, स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली, गरीबी, जलवायु परिवर्तन, घटता भूजल स्तर, वायु प्रदूषण, ठोस अवशेष, महिला सशक्तीकरण, बेरोजगारी, कृषि संकट, बाढ़, सुखाड़, लंबित न्याय, सकल घरेलू उत्पाद आदि मुद्दे आज देश के सामने हैं जिनको प्राथमिकता के आधार पर हल...

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अर्थव्यवस्था की खातिर मोदी और RBI के लिए 2022 का मंत्र- शांति से सुधार जारी रखें

-द प्रिंट,  भारत जब वर्ष 2022 में प्रवेश कर रहा है, नरेंद्र मोदी सरकार के लिए ये कई चुनौतियां मुंह बाये खड़ी हैं- कोविड की नयी लहर, वृहत अर्थव्यवस्था के मोर्चे पर स्थिरता बनाए रखना, आर्थिक वृद्धि की दर में सुधार के लिए आर्थिक सुधारों को आगे बढ़ाना. ओमीक्रॉन भारत को कोविड की नयी लहर का सामना करना पड़ सकता है, लेकिन व्यापक टीकाकरण, वाइरस से लड़ने की क्षमता में वृद्धि और हमारी...

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जलवायु परिवर्तन से उपजी चरम मौसमी घटनाओं ने 2021 में दुनिया के खरबों डॉलर डुबा दिए

-जनपथ, दुनिया की सबसे महंगी चरम मौसमी घटनाओं में से दस की लागत 1.5 ट्रिलियन डॉलर से अधिक है। इस सूची में अमेरिका में अगस्त में आया तूफ़ान इडा सबसे ऊपर है, जिसकी अनुमानित लागत 65 बिलियन डॉलर है। वहीँ जुलाई में यूरोप में आयी बाढ़ में 43 अरब डॉलर का नुकसान हुआ था। इन आंकड़ों का ख़ुलासा करती है क्रिश्चियन एड की ताज़ा रिपोर्ट काउंटिंग द कॉस्ट 2021: ए ईयर ऑफ...

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ग्लोबल उथल पुथल के बीच अर्थव्यवस्था की मजबूती के लिए बुनियादी बातों पर भी ध्यान देना जरूरी

-द प्रिंट, दुनियाभर में मौद्रिक नीति में बदलावों के कारण शेयर बाजारों में इन दिनों उथलपुथल चल रही है. अमेरिकी फेडरल रिजर्व ने भी मौद्रिक नीति में सामान्यीकरण का संकेत दिया तो रुपये पर दबाव बढ़ गया. पिछले कुछ महीनों से कीमतों में तेजी के कारण कई बड़े देशों के केंद्रीय बैंक सामान्यीकरण की नीति अपनाने लगे हैं. मुद्रास्फीति जब नयी ऊंचाई को छूने लगी तो अमेरिकी फेडरल रिजर्व ने इस महीने...

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भारतीय लोकतंत्र में लगातार बढ़ रही आर्थिक असमानता पर चर्चा कब होगी?

-जनपथ, विश्व असमानता रिपोर्ट 2022 के आंकड़ों के बाद भारत में बढ़ती आर्थिक असमानता फिर चर्चा में है। रिपोर्ट के अनुसार भारत में एक प्रतिशत सर्वाधिक अमीर लोगों के पास 2021 में कुल राष्ट्रीय आय का 22% हिस्सा था, जबकि शीर्ष 10% लोग राष्ट्रीय आय के 57 प्रतिशत भाग पर काबिज थे। हमारे देश की आधी आबादी सिर्फ 13.1 फीसदी कमाती है। रिपोर्ट के आने के बाद होने वाली चर्चाएं प्रायः शीर्ष...

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