-जनसत्ता, पीएम मोदी के देशबंदी के ऐलान के बाद से मजदूर वर्ग में घबराहट का माहौल है। यही वजह है कि मजदूर पैदल ही अपने घरों को निकल रहे हैं। शुक्रवार को 6 युवा मजदूर हरियाणा के रेवाड़ी से यूपी की राजधानी लखनऊ पहुंचे। अपने कंधों पर बैग टांगे ये युवा लखनऊ के सुनसान पड़े लोहिया पथ पर पैदल चले जा रहे थे। जब इन मजदूरों से बात की गई तो...
More »SEARCH RESULT
कोरोना लॉकडाउन से प्रभावित असंगठित क्षेत्र को सरकार क्या भूल गई है?
-बीबीसी, वित्त मंत्रालय में जारी लगातार बैठकों और विचार-विमर्श के बाद मध्यम वर्ग और कॉर्पोरेट जगत को कोरोना से निपटने के लिए एक के बाद दूसरी राहतों का एलान हुआ. इसके बाद भारत के 50 से अधिक समाजसेवियों, बुद्धिजीवियों और राजनीतिज्ञों ने केंद्र और राज्य सरकारों को ख़त लिखकर लगभग 40 करोड़ से अधिक दिहाड़ीदारों, खेतिहर मज़दूरों, छोटे किसानों, वृद्धा पेंशन भोगियों और झुग्गी-झोपड़ियों में रहनेवालों विशेष वित्तीय मदद दिए जाने की...
More »कोरोना : लॉकडाउन से दूसरे राज्यों में फंसे मजदूर कैसे भरेंगे अपना पेट ?
-गांव कनेक्शन, झारखंड के डुमरी जिले के मूल निवासी अलीमुद्दीन मुंबई कमाने के लिए गए थे, लॉकडाउन में मुंबई बंद हो गई। अमीमुद्दीन जिस कारखाने में काम करते थे वो कई दिन पहले बंद हो चुका है। वो होटल भी बंद हो चुका है जहां वो खाना खाते थे, और अब उनकी जेब में पैसे भी नहीं बचे हैं। कई मजदूर तो ऐसे हैं जिनके पास पैसे हैं लेकिन बाजार में...
More »कोरोना के प्रकोप से बचने के लिए 'वर्क फ्रॉम होम' जैसे उपाय भारतीय श्रमिकों के लिए नहीं हैं मददगार
साल 2020 से पर्दा उठते ही इसके शुरुआती जनवरी महीने में चीन जैसी महाशक्ति को COVID-19 के व्यापक प्रकोप से झूझते हुए पाया, जोकि कुछ दिनों के भीतर ही वैश्विक स्तर पर फैल गया. COVID-19 की तीव्र प्रसार क्षमता के अध्ययन के बाद, स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने बाकी की आबादी के बीच तेजी से इसके प्रसार को रोकने के लिए कुछ तरीके सुझाए हैं. स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने इंटरनेट कनेक्टिविटी के युग...
More »देश में नया श्रम कानून लागू, मगर मजदूरों के हाथ खाली
"नये श्रम कानून में सरकार अगर देश में मजदूरों की 178 रुपए कम से कम मजदूरी तय कर रही है, तो सीमेंट की बोरी ढोने वाले हम जैसे मजदूरों को दिन भर काम के बाद 250 रुपए मजदूरी मिलती है, अब आप बताइये इतनी महंगाई में 250 रुपए दिहाड़ी पर घर चलता है क्या?, तो 178 रुपए पर क्या कहेंगे," यह कहना है मजदूर दल्ला मीना का, जो राजस्थान के...
More »