आरटीआइ आपको इतनी ताकत देता है कि अकेला आदमी भी घूस को घूंसा मार सकता है. इतना ही नहीं, सरकार को अपनी नीतियों को बदलने के लिए मजबूर भी कर सकता है, अगर वह जनहित और राष्ट्रहित के खिलाफ है, लेकिन एक सवाल बार-बार पूछा जाता कि आरटीआइ एक्टिविस्ट ऐसा करने में कितने सुरक्षित हैं? वे अपनी सुरक्षा के लिए क्या करें? हमलों से बचने के उपाय यह सच है कि अकेले...
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गांव के लोगों की ही देन है आरटीआइ आंदोलन
आरटीआइ कार्यकर्ता सुभाष अग्रवाल किसी परिचय के मोहताज नहीं है. वे आरटीआइ कानून के अमल में आने के बाद से ही लगातार इस हथियार के जरिये आम जनता के हित में लड़ाई लड़ते रहे हैं. चाहे मामला न्यायपालिका में फैले का भ्रष्टाचार का हो या फिर राजनीतिक दलों को आरटीआइ के दायरे में लाने का उन्होंने यह मुहिम निरंतर जारी रखी है. इतना ही नहीं वे नौजवान पीढ़ी की ओर आरटीआइ...
More »यों निकलती है एक अधिकार से दूसरे अधिकार की राह..
एक ऐतिहासिक कानून दूसरे ऐतिहासिक कानून के भीतर दिए गए अधिकारों को हासिल करने में मददगार हो रहा है। उत्तरी महाराष्ट्र के हजारो आदिवासी सूचना के अधिकार कानून की मदद से वनाधिकार कानून में प्रदान किए गए अपने हक को हासिल करने के करीब आन पहुंचे हैं।वनाधिकार कानून साल 2006 में बना। इसमें वनवासी और अन्य आदिवासी समुदायों को उनकी परंपरागत जमीन पर सामुदायिक और वैयक्तिक अधिकार दिये गये हैं। बहरहाल,...
More »बोल बड़े बिल अटके पड़े- हिमांशु शेखर
कांग्रेस दावा करती है कि उसका हाथ आम आदमी के साथ है. लेकिन उसकी अगुवाई वाली केंद्र सरकार ने कई ऐसे विधेयक लटका रखे हैं जिनका सीधा संबंध उसी आम आदमी की भलाई से है. हिमांशु शेखर की रिपोर्ट. संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन की मुख्य पार्टी कांग्रेस के नेता यह दावा करते हुए नहीं अघाते कि उनकी सरकार के लिए आम आदमी का कल्याण सबसे पहले है. लेकिन मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली...
More »बंसल की कथनी, सीबीआई की करनी- बृजेश सिंह और राहुल कोटियाल
रेलवे रिश्वत कांड में सीबीआई ने फिर से वही किया जिसके लिए वह हमेशा से मशहूर रही है. बृजेश सिंह और राहुल कोटियाल की पड़ताल. बात है चार मई 2013 की. मीडिया में खबर आई कि सीबीआई ने कुछ लोगों को रेलवे बोर्ड के सदस्य के पद पर नियुक्ति के लिए रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार किया है. इनमें तब के रेलमंत्री पवन बंसल का भांजा विजय सिंघला भी शामिल था. चारों...
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