क्या यह बात सच है कि विकास के मामले में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बिहार को महज चार सालों में गुजरात के करीब पहुंचा दिया है। समाचारों की माने तो सचमुच ऐसा ही है( देखें नीचे दी गई लिंक) लेकिन आंकड़ों का विश्लेषण ऐसा कहने से इनकार करता है। बिहार की आर्थिक प्रगति के अर्धसत्य को परोसने के लिए समाचारों में आधार बनाया गया है केंद्रीय सांख्यिकी एवम् कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्रालय...
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भेंटवार्ता जोन पी मेंशे से- वकार अहमद सईद
नृत्त्वशास्त्र की अध्येता जॉन पी मेंशे से की गई यह भेटवार्ता फ्रंटलाइन से साभार ली गई है। प्रोफेसर जोन पी मेंशे नृत्तत्वशास्त्र की अध्येता हैं। उन्होंने बरसों तक सिटी यूनिवर्सिटी ऑव न्यूयार्क के ग्रेजुएट सेंटर और इसी यूनिवर्सिटी के लेहमान कॉलेज में अपने विषय का अध्यापन किया है। प्रोफेसर मोंशे सेकेंड चांस फाऊंडेशन नामक एक नॉट फॉर प्राफिट संस्था की अध्यक्ष भी हैं। यह संस्था भारत और संयुक्त राज्य...
More »स्वयं सहायता समूहों ने छीना बच्चों का निवाला
झाबुआ/भोपाल। आदिवासी अंचल झाबुआ जिले की अधिकांश स्कूलों से बच्चे भूखे लौट रहे हैं। उन्हें स्वयं सहायता समूहों की गड़बड़ियों के चलते भूखा लौटना पड़ रहा है। गांव के स्वयं सहायता समूहों पर दबंगों का कब्जा है और मध्याह्नं भोजन योजना दबंगों के मकड़जाल में उलझ कर रह गई है। मध्याह्नं भोजन में विसंगति में नया तथ्य यह है कि जो शिक्षक मध्याह्नं भोजन न मिलने का या अमानक भोजन...
More »असफल रहा रोम का खाद्य-सुरक्षा सम्मेलन
रोम(इटली) में 16 नवंबर से खाद्य सुरक्षा के मामले पर जिस तीन दिनी विश्व सम्मेलन का आयोजन हुआ उसके समापन की घड़ी आई तो सम्मेलन के भागीदारों में घोषणाओं को लेकर आपस में ही सहमति नहीं थी।सम्मेलन के अंत में जो एलान किए गए उससे असंतुष्ट लोगों में जैक्स डिओफ का भी नाम शामिल हैं और डिओफ का एलानों से असंतुष्ट होना मायने रखता है क्योंकि वे खुद यूएन के...
More »सुधार से उपजी चुनौतियां
यथास्थिति बनाए रखने वाली मौद्रिक नीति की घोषणा को एक सप्ताह भी नहीं बीता है कि विश्लेषक भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) द्वारा दिसंबर से पहले सख्त कार्रवाई का अनुमान जताने लगे हैं। एक वाजिब सवाल यह है कि क्या अगले दो महीनों के दौरान नाटकीय रूप से ऐसा बदलाव आएगा कि हालात बेहतर हो जाएं। इसका जवाब किसी मौद्रिक प्रतिक्रिया के सही समय से निर्धारित होगा। फिलहाल ज्यादातर लोग अनुमान लगा रहे...
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