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मुद्दा: अन्ना का अनशन या संन्यासी का सत्याग्रह

दो मुहिम। मकसद एक। जनमानस को उद्वेलित करने वाला पहला आंदोलन गांधीवादी अन्ना हजारे के नेतृत्व में भ्रष्टाचार के खिलाफ चला। शांति और सादगी से ओतप्रोत इस आंदोलन में भ्रष्टाचार के खिलाफ मौन जनाक्रोश हर जगह दिखा। शासन को भी इस गंभीरता का शीघ्र ही अहसास हो चला। परिणामस्वरूप भ्रष्टाचार को खत्म करने के लिए जरूरी तरकीबों को ढूंढने का चरणबद्ध सिलसिला शुरू हुआ। भ्रष्टाचार के खिलाफ ही दूसरे आंदोलन का...

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पूंजी खेल की हकीकत- हरिवंश

चलते-चलते एक लेख में इस पुस्तक की चरचा की थी. आज के माहौल में इसे हर भारतीय को पढ़ना चाहिए. वह सच, जानने के लिए, जो लोगों से छुपाया जाता है. वह पद्धति-प्रक्रिया समझने के लिए, जिसके तहत भारत से पैसे-पूंजी बेधड़क स्विस या विदेशी बैंकों या टैक्स हेवेन (कर चोरी के लिए स्वर्ग या नितांत सुरक्षित) में जा रहे हैं. इसमें कौन लोग हैं? मीडिया का असली चेहरा भी...

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विकास रोक देगा यह कालाधन-- अरुण कुमार

आज भारत में लगभग सभी आर्थिक गतिविधियों में अवैध तरीके अपनाये जाते हैं. यह स्थायी और संस्थागत रूप ले चुका है. वर्तमान दशक को घोटालों का दशक कहा जा सकता है. जिन लोगों पर भी भ्रष्टाचार के आरोप लगे हैं, उन्होंने बेशर्मी से मामले को अंतिम समय तक दबाने की कोशिश की. चाहे मामला 2 जी स्पेक्ट्रम आवंटन का हो या फ़िर कॉमनवेल्थ घोटाले का. यही वजह है कि सत्ताधारी पार्टियां...

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कठिन है कालेधन की वापसी- पुष्परंजन

काले धन की वापसी के लिए भारत सरकार ने स्विट्जरलैंड को क्या कोई पत्र भेजा है? ज्यूरिच से लेकर बर्न तक के कूटनीतिक नहीं जानते कि अब तक ऐसा कोई आग्रह भारत सरकार की ओर से आया है. काले धन की वापसी और काले धन वाले बैंक खातों की जानकारी, ये दो अलग-अलग विषय हैं. इन दोनों विषयों के बारीक फ़र्क को समझना होगा. ट्यूनीशिया से भगाये गये तानाशाह बेन अली और...

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जन्म से बंधी सामाजिक बेड़ियां : हर्ष मंदर

लाखों महिलाएं, पुरुष और बच्चे आज भी उन अपमानजनक सामाजिक बेड़ियों में बंधे हुए हैं, जो उनके जन्म से ही उन पर लाद दी गई थीं। आधुनिकता की लहर के बावजूद आज भी भारत के दूरदराज के देहातों में जाति व्यवस्था जीवित है। यह वह व्यवस्था है, जो किसी व्यक्ति के जाति विशेष में जन्म लेने के आधार पर ही उसके कार्य की प्रकृति या उसके रोजगार का निर्धारण कर...

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