एक सौ तीस करोड़ से अधिक की जनसंख्या के हमारे देश में हमें लगातार बताया गया है कि अधिकांश आबादी युवा है और यही हमारी सबसे बड़ी ताकत है. यह तर्क मैंने 1997 के बाद से लगभग हर राजनेता को इस्तेमाल करते देखा. तब उम्मीदें आसमान तो छू रही थीं, क्योंकि वैश्वीकरण के चलते हर तरह की तरक्की का वादा हमसे हुआ था, (और कुछ हद तक वैसा हुआ भी)....
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इंफ्रा-मुखी लुभावना बजट-- प्रमोद जोशी
भारत का बजट लोक-लुभावन राजनीति, राजकोषीय अनुशासन और अर्थशास्त्रीय नियमों की रोचक चटनी होता है. इसकी बारीकियां केवल वित्त मंत्री का भाषण सुननेभर से समझ में नहीं आतीं. अलबत्ता पहली नजर में सार्वजनिक प्रतिक्रिया समझ में आ जाती है. इस लिहाज से इस बार का बजट काफी बड़े वर्ग को खुश करेगा. इसमें सामाजिक क्षेत्र का ख्याल है, ग्रामीण क्षेत्र की फिक्र है, साथ ही छोटे करदाता की परेशानियों को...
More »दोहरे प्रयासों से तेज होगा विकास - डॉ जयंतीलाल भंडारी
बीते सोमवार को जीएसटी कौंसिल की बैठक के बाद आगामी एक जुलाई से इस एकीकृत परोक्ष कर प्रणाली को लागू करने की बात कही गई है। चूंकि नोटबंदी के बाद सरकार देश की अर्थव्यवस्था को कैशलेस बनाने की ओर अग्रसर है, ऐसे में एक जुलाई से जीएसटी की शुरुआत मददगार होगी। साथ ही जीएसटी की तिथि व दरें सुनिश्चित हो जाने के कारण आगामी बजट में अप्रत्यक्ष कर का अनुमान...
More »सियासी दलों के गुप्त चंदे पर रोक लगे
चुनावों में कालेधन के इस्तेमाल पर अंकुश लगाने की कवायद में जुटे चुनाव आयोग ने केंद्र सरकार से कानून में संशोधन की सिफारिश की है। आयोग ने सियासी दलों को दो हजार रुपये और इससे ज्यादा दिए जाने वाले गुप्त चंदे पर रोक लगाने की मांग की है। ऐसी पार्टियों को छूट हो: प्रस्तावित संशोधन चुनाव सुधार पर आयोग की सिफारिशों का हिस्सा है। उसने यह भी सुझाव दिया है कि...
More »पर्यावरण विमर्श का जनपक्ष-- अनुज लुगुन
विश्व बाजार में आज दो विपरीत चीजें एक साथ चल रही हैं- हथियारों की होड़ एवं पर्यावरण विमर्श. ग्लोबलाइजेशन ने ‘ग्लोबल' होने का जो सिद्धांत दिया, उसने ग्लोबल वार्मिंग की समस्या को भी पैदा किया. क्योंकि ‘ग्लोबल' होने का आधार बाजार को बनाया गया और बाजार ने पूंजी के जिस प्रलोभन को जन्म दिया, उसने हथियारों की होड़ को पैदा किया. अगर गंभीरता से देखा जाये, तो इन दोनों का...
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