पिछले आम चुनाव के दौरान नरेंद्र मोदी का एक प्रमुख नारा था- ‘सबका साथ-सबका विकास'. अपने इस वादे पर अमल करते हुए सरकार ने पिछले एक साल में आम आदमी की समृद्धि और उन्हें आर्थिक सुरक्षा मुहैया कराने के उद्देश्य से कई नयी योजनाएं शुरू कीं. कुछ पिछली योजनाओं में भी तब्दीली करते हुए उन्हें नये नाम और प्रारूप में शुरू किया गया. जन-धन, बीमा और पेंशन आदि से जुड़ी...
More »SEARCH RESULT
बाबा साहेब का सपना - सतीश देशपांडे
हमारे समय की विडंबना है कि एक युग-व्यापी समाज चिंतक की भूमिका में डॉ बाबा साहेब आंबेडकर के ‘अच्छे दिन' अब आते लग रहे हैं। उनके एक सौ चौबीसवें जन्मदिन के अवसर पर हम उनकी बढ़ती प्रासंगिकता में यह सांत्वना ढूंढ़ सकते हैं कि हमारे पश्चिम-परस्त, ब्राह्मणवादी बुद्धिजीवी जगत में देर है अंधेर नहीं। आधी सदी की ‘रुकावट' के लिए खेद है, मगर देर-सवेर डॉक्टर साहेब को अपना मुनासिब स्थान...
More »नसबंदी कांड की कड़ियां- कनक तिवारी
जनसत्ता 17 नवंबर, 2014: बिलासपुर नसबंदी कांड राज्यतंत्र की क्रूरता का बेहद घिनौना उदाहरण है। केंद्र प्रवर्तित और राज्य पोषित नसबंदी कार्यक्रम को लागू करने में इतनी लोकविधर्मी विसंगतियां हैं। पर इन्हें सरकारी अहंकार समझना ही नहीं चाहता। जनसंख्या-वृद्धि पर रोक लगाने के लिए केंद्रीय शासन ने बरसों से अंतरराष्ट्रीय स्थितियों, समझौतों और समझाइशों के तहत नीतियां बनाने का प्रयत्न किया है। शासन और भद्रलोक के उपचेतन में इस मुगालते...
More »बड़े सवालों से मुंह छुपाता वाम- उर्मिलेश
चुनावी विफलताओं से उपजी हताशा और अपनी निष्क्रियता के चलते काफी लंबे समय से देश के पारंपरिक वामपंथी दल राष्ट्रीय-चर्चा से लगभग बाहर हैं. इधर, अचानक मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी में महासचिव प्रकाश करात और पोलित ब्यूरो के सदस्य सीताराम येचुरी के पक्ष-विपक्ष की दलबंदी के चलते वाम-राजनीति की एक खास बहस सामने आयी है. यह प्रमुखत: गंठबंधन की राजनीति को लेकर है. लेकिन इस बहस में वे सवाल कहीं नहीं...
More »नरेगा : प्रधानमंत्री के नाम गणमान्य नागरिकों की चिट्ठी
सेवा में, 13 अक्तूबर 2014 श्री नरेन्द्र मोदी प्रधानमंत्री, भारत ...
More »