आरटीआइ के जरिये बदलाव की कई कहानियां हमने देखी सुनी है और उनके जरिये इस अधिकार की ताकत को महसूस किया है. मगर इसके जरिये झारखंड में विस्थापन के खिलाफ जो जंग लड़ी गयी हैं, उसकी कोई मिसाल नहीं है. सदियों से विस्थापन का क्रूरतम शिकार रहे झारखंड के आदिवासियों के लिए आरटीआइ एक नयी ताकत बन कर उभरा है. चाहे अर्सेलर मित्तल के स्टील प्लांट का मसला हो या नगड़ी...
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गांव की सारी जमीन ग्राम सभा को दान- अपर्णा पल्लवी
ग्रामसभा को मजबूत करने और लोगों के भू-अधिकारों को संरक्षित करने के लिए महाराष्ट्र के गढ़चिरौली जिले के मेंढ़ालेखा के ग्रामीणों ने एक अनोखी मिसाल पेश की है. गांव के लोगों ने 3 सितंबर को सर्वसम्मति से अपनी खेती योग्य सारी जमीन ग्राम सभा को दान कर दी है. ऐसा उन्होंने महाराष्ट्र के एक भुला दिये गये कानून महाराष्ट्र ग्राम दान एक्ट, 1964 के तहत किया है. अब 52 परिवारों और...
More »पारा शिक्षक: सरकार पर पड़ेगा 480 करोड़ का बोझ
रांची: शिक्षा मंत्री गीताश्री उरांव ने राज्य के पारा शिक्षकों के मानदेय में पांच हजार की बढ़ोतरी का प्रस्ताव तैयार करने को कहा है. ऐसा होता है, तो राज्य के 80 हजार पारा शिक्षकों को लाभ पहुंचेगा. पारा शिक्षकों का मानदेय लगभग दोगुना हो जायेगा. एक पारा शिक्षक के मानदेय में वर्ष में 60 हजार की बढ़ोतरी होगी. सरकार पर सालाना लगभग 480 करोड़ का वित्तीय बोझ पड़ेगा. शिक्षा मंत्री ने...
More »न्याय का नखलिस्तान- रुचिरा गुप्ता
जनसत्ता 18 सितंबर, 2013 : भारत में अगर किसी का पुलिस या न्यायपालिका से कभी पाला पड़ा हो, तो वह अच्छी तरह से जानता होगा कि यह अनुभव कितना क्षोभ और आक्रोश से भर देने वाला होता है। भारतीय न्यायपालिका और पुलिस तंत्र में कई तरह की खामियां हैं। उनमें से कुछ को रेखांकित किया जा सकता है। मसलन, पुलिस अधिकारियों के बीच जवाबदेही का अभाव, खासतौर से महिलाओं और दलितों...
More »कहां खो गई गन्ने की मिठास- वी एम सिंह
सभ्य समाज पर मुजफ्फरनगर दंगा एक धब्बा है, जिसमें करीब 44 से अधिक लोग अपनी जान गंवा चुके हैं। यह राजनीतिक पार्टियों का वोट बैंक एजेंडा तो हो सकता है, परंतु इससे पश्चिमी उत्तर प्रदेश के ग्रामीण इलाकों के आपसी भाईचारे को गहरा धक्का लगा है। इस दंगे की लपट में आने से हजारों किसानों को गांवों से पलायन करना पड़ा है। कवाल गांव की घटना तो एक नमूना भर है। प्रदेश...
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