आरटीआइ आपको इतनी ताकत देता है कि अकेला आदमी भी घूस को घूंसा मार सकता है. इतना ही नहीं, सरकार को अपनी नीतियों को बदलने के लिए मजबूर भी कर सकता है, अगर वह जनहित और राष्ट्रहित के खिलाफ है, लेकिन एक सवाल बार-बार पूछा जाता कि आरटीआइ एक्टिविस्ट ऐसा करने में कितने सुरक्षित हैं? वे अपनी सुरक्षा के लिए क्या करें? हमलों से बचने के उपाय यह सच है कि अकेले...
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हेराफेरी पर कस रही आरटीआइ की नकेल
सूचना का अधिकार कानून भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई व अपने अधिकारों को पाने का माध्यम बन गया है. झारखंड के गांवों में बड़ी संख्या में लोग आरटीआइ का प्रयोग कर रहे हैं. आरटीआइ के जरिये भ्रष्टाचार का खुलासा करने या अपने अधिकारों को पाने वाले लोगों से प्रेरित होकर दूसरे लोग भी आरटीआइ का उपयोग कर रहे हैं. इस बार की आमुख कथा में पंचायतनामा ने आरटीआइ के ऐसे ही किस्सों...
More »गांव के लोगों की ही देन है आरटीआइ आंदोलन
आरटीआइ कार्यकर्ता सुभाष अग्रवाल किसी परिचय के मोहताज नहीं है. वे आरटीआइ कानून के अमल में आने के बाद से ही लगातार इस हथियार के जरिये आम जनता के हित में लड़ाई लड़ते रहे हैं. चाहे मामला न्यायपालिका में फैले का भ्रष्टाचार का हो या फिर राजनीतिक दलों को आरटीआइ के दायरे में लाने का उन्होंने यह मुहिम निरंतर जारी रखी है. इतना ही नहीं वे नौजवान पीढ़ी की ओर आरटीआइ...
More »50 हजार से अधिक शिक्षकों के पद रिक्त
राज्य गठन के समय झारखंड में प्राथमिक विद्यालयों की संख्या 19 हजार थी. आज यह बढ़ कर 41 हजार हो गयी है. राज्य में स्कूल तो बढ़े पर शिक्षकों की नियुक्ति नहीं हुई. प्राथमिक से लेकर प्लस टू उच्च विद्यालय तक शिक्षकों के लगभग 50 हजार से अधिक पद रिक्त हैं. राजकीय व प्रोजेक्ट उच्च विद्यालयों में 25 वर्ष से शिक्षकों की नियुक्ति नहीं हुई. कुल 7900 राजकीयकृत उच्च विद्यालयों में 12...
More »चल नहीं रेंग रहा साक्षरता कार्यक्रम
हर साल आठ सितंबर को अंतर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस के अवसर पर सरकारी कार्यक्रम का आयोजन होता है. स्कूलों में प्रभात फेरी निकाली जाती है. बच्चों से नारे लगवाये जाते हैं- आधी रोटी खायेंगे फिर भी स्कूल जायेंगे. पत्ता-पत्ता अक्षर होगा हर कोई साक्षर होगा आदि-आदि. इसके बाद प्रखंड, जिला एवं राज्यस्तर पर सम्मेलन होता है. इसमें अफसर एवं नेता आते हैं. भाषण देते हैं. निरक्षरता को मानव समाज के लिए कलंक बताते...
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