बजट में किसान कई बातों के अलावा मौसम की मार से बचाव के उपाय भी चाहता है। वह बेहतर मौसम अनुमान, फसलों की समय से क्षतिपूर्ति, सीधी सब्सिडी, सूखाग्रस्त क्षेत्रों में जैविक खेती की उम्मीदें रखता है। जानकार भी कहते हैं कि सरकार कृषि और उससे जुड़े सेक्टर में भरपूर निवेश करे ताकि सूखे में स्थितियां नियंत्रण में बनी रहें। एक नजर- बजट 2016-17: क्या हैं उम्मीदें नई प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल हो किसानों...
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बजट 2016-17: खेती को पानी मिले, किसानों को वाजिब दाम
हालांकि नई फसल बीमा योजना को प्रधानमंत्री ने "किसान की सारी मुसीबतों का समाधान" बताया है लेकिन लगातार दो दफे सूखे की चपेट में आई खेतिहर अर्थव्यवस्था की मौजूदा बदहाली नये बजट में फौरी तौर पर विशेष उपाय करने की मांग करती है.(देखें प्रधानमंत्री का भाषण) एक ऐसी स्थिति में जब कृषिगत सकल घरेलू उत्पाद में लगातार दो वित्तवर्षों (2014-15 में -2%, 2015-16 में 1.1%) में बड़ा मामूली इजाफा हुआ हो,...
More »गांवों में 38% से अधिक मुसलिम गरीबी रेखा के नीचे : अमर्त्य
कोलकाता. मशहूर अर्थ शास्त्री व नोबेल पुरस्कार विजेता अमर्त्य सेन ने राज्य में मुसलिम समुदाय की हालत सुधार देने के मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के दावों की पोल खोल कर रख दी है. पश्चिम बंगाल के मुसलमानों की वास्तविक स्थिति पर आधारित एक रिपोर्ट का विमोचन करते हुए श्री सेन ने कहा कि बंगाल में गरीबी रेखा की दहलीज पर जीवन गुजारने वाले परिवारों की मासिक आय पांच हजार रुपये है,...
More »छोटी सी पहल ने बदली सौ गांवों की तकदीर
कभी पानी को तरसते थे, आज साल भर में तीन फसल उगा रहे किसान राजस्थान के सौ गांवों के खेतों में फसल नहीं उगायी जाती थी, क्योंकि वहां सिंचाई के माकूल साधन नहीं थे. सिंचाई के लिए पानी की बात तो दूर, ग्रामीणों को पेयजल भी मयस्सर नहीं था. मुंबई की एक महिला कार्यकर्ता द्वारा किये गये अथक प्रयास के बाद आज उन गांवों में न सिर्फ लोगों को पेयजल मिल...
More »2017 तक 50 अरब डॉलर का होगा डिब्बाबंद खाद्य बाजार
एक सर्वेक्षण के अनुसार खाने के लिए तैयार (रेडी टु ईट) उत्पादों की बढ़ती लोकप्रियता के बीच देश का डिब्बाबंद खाद्य बाजार 2017 तक 50 अरब डॉलर का हो जाएगा जो फिलहाल 32 अरब डॉलर का है। उद्योग मंडल ऐसोचैम के सर्वेक्षण में कहा गया महानगरों में खाने की आदतों में बड़ा बदलाव हुआ है। हालांकि 79 प्रतिशत परिवार दोहरी आमदनी, जीवन शैली और सुविधाओं में भारी बढ़ोतरी के कारण करीब...
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