आम तौर पर, अर्थशास्त्री एक निश्चित भौगोलिक क्षेत्र में एक विशेष अवधि में बेरोजगारी और काम से संबंधित अनिश्चितता की सीमा का आकलन करने के लिए श्रमिक जनसंख्या अनुपात (डब्ल्यूपीआर), श्रम बल भागीदारी दर (एलएफपीआर) और बेरोजगारी दर (यूआर) जैसे संकेतकों का उल्लेख करते हैं. हालांकि, अन्य संकेतक भी हैं, जो रोजगार की स्थिति, आजीविका सुरक्षा और श्रमिकों की बदत्तर स्थिति को बेहतर तरीके से समझने में मदद कर सकते...
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मोदी सरकार की 6 ट्रिलियन रु. की मौद्रीकरण योजना खतरों के बीच ख्वाब देखने जैसा क्यों है
-द प्रिंट, निजीकरण और ‘मौद्रीकरण’ में फर्क यह है कि निजीकरण में तो सरकार व्यवसाय से अलग हो जाती है, जबकि मौद्रीकरण सरकार को उसका सक्रिय खिलाड़ी बनाए रखता है. इस लिहाज से निजीकरण मौद्रीकरण से कहीं आसान है. फिर भी, निजीकरण के मामले में दुखद रिकॉर्ड (एअर इंडिया, भारत पेट्रोलियम आदि) रखने वाली और विनिवेश के लक्ष्य से कोसों पीछे रह गई सरकार मौद्रीकरण के जरिए चार साल में 6...
More »नवउदारवाद और राष्ट्रवाद के बीच में खेती-किसानी का भविष्य
-न्यूजक्लिक, सभी जानते हैं कि तीसरी दुनिया के देशों में मुक्ति का संघर्ष जिस साम्राज्यविरोधी राष्ट्रवाद से संचालित था, वह उस पूंजीवादी राष्ट्रवाद से बिल्कुल भिन्न प्रजाति की चीज थी, जिसका जन्म सत्रहवीं सदी में यूरोप में हुआ था। पश्चिम में इस तरह की प्रवृत्ति है, जिसमें प्रगतिशील भी शामिल हैं, जो राष्ट्रवाद को एकसार तथा प्रतिक्रियावादी श्रेणी की तरह देखती है। वे साम्राज्यविरोधी राष्ट्रवाद तक को यूरोपिय पूंजीवादी राष्ट्रवाद के...
More »प्रधानमंत्री फसल बीमा के नाम पर किसानों से लूट, उतना पैसा दिया नहीं जितना ले लिया
-न्यूजक्लिक, भारत को किसानों का देश कहकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने कार्यकाल में 13 जनवरी 2016 से एक नई योजना ''प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (पीएमएफबीवाई)'' के नाम पर शुरू की थी. इसे उन्होंने सभी किसानों के लिए बाध्यकारी भी बनाया। अगर इस योजना की पृष्ठभूमि पर गौर करें, तो साफ समझ में आता है, कि निजी बीमा कंपनियों को लाभ पहुंचाना ही इस योजना का मुख्य उद्देश्य था। प्रधानमंत्री ने...
More »क्या श्रमिकों का फैक्ट्रियों से खेतों में बड़ी संख्या में पलायन ‘विकास’ की गाड़ी का उल्टी दिशा में जाना है
-द वायर, 2018-19 में कुल रोजगार में कृषि की हिस्सेदारी 42.5 फीसदी से 2019-20 में नाटकीय ढंग से बढ़कर 45.6 फीसदी हो गई. कुल रोजगार में कृषि की भागीदारी में यह इजाफा भारतीय अर्थव्यवस्था के एक चिंताजनक पहलू को दिखाता है. यह बढ़ोतरी उद्योग या सेवा क्षेत्र से कृषि में श्रमिकों की एक असामान्य बड़ी गतिशीलता की संकेतक हो सकती है. वास्तविक रोजगार की स्थिति के लिए भिन्न-भिन्न मापकों- काफी सख्त से ज्यादा उदार...
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