सागर(मप्र)। जिस बुंदेलखंड को गुजरे जमाने से दरकती जमीन और प्यासे कंठ को तर करने की जद्दोजहद में सर पर गगरी लिए, तपती पगडंडियों पर मीलों तक भटकती महिलाओं और बच्चों के झुंडों के दृश्यों के लिए जाना जाता रहा हो अब प्रदेश सरकार, उसी अंचल की जमीन के चप्पे-चप्पे की प्यास बुझाने और इसे सिंचित बनाने की कवायद में जुटी है। अगर आंकड़ों की मानें तो पिछले पांच साल...
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खाद्यान्न उत्पादन 3.5%घटने के आसार
मौजूदा फसल वर्ष 2012-13 (जुलाई-जून) में देश का कुल खाद्यान्न उत्पादन 3.5 फीसदी गिरकर 2501 लाख टन रहने की संभावना है। थिंक टैंक सेंटर फोर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (सीएमआईई) के अनुसार पिछले साल कमजोर मानसून के कारण खरीफ के उत्पादन में गिरावट आने से कुल खाद्यान्न उत्पादन कम रहेगा। सीएमआईई की मासिक रिपोर्ट के अनुसार...
More »जलवायु संकट के बादल- अतुल कुमार सिंह
जनसत्ता 26 अक्टुबर, 2012: भारत समेत दुनिया के सामने दो सबसे अहम समस्याएं भुखमरी और जलवायु संकट हैं। ये दोनों ऐसे मुद्दे हैं जिनसे न केवल मानवता के भविष्य बल्कि पूरे जीव-जगत और अंतत: दुनिया के अस्तित्व का प्रश्न जुड़ा हुआ है। विश्व भर में इन मुद्दों पर खासी चर्चा और चिंताएं भी हैं। लेकिन इनसे निपटने के लिए जो उपाय सामने आ रहे हैं उनमें न तो मुकम्मलपन दिखता है और...
More »शहरीकरण खा गया छह हजार हेक्टेयर लहलहाती जमीन
जालंधर. जितनी तेजी से खेती की जमीन में कालोनियां काटी जा रही हैं, उनमें उतनी तेजी से घर नहीं बन रहे। वजह, लोग रहने के लिए नहीं, बल्कि निवेश के लिए प्लाट खरीद रहे हैं। ऐसे में खेती की जमीन लगातार कम हो रही है। पिछले सात वर्षो में जालंधर में शहरीकरण के नीचे का रकबा 24 फीसदी बढ़ गया है। लगातार कम हो रही खेती की जमीन को लेकर खेतीबाड़ी...
More »बारिश का बढ़ा इंतजार, 15 दिन से ज्यादा लेट हो सकता है मानसून- डूंगर सिंह की रिपोर्ट
जयपुर.प्रदेश में इस बार मानसून के तय समय से एक माह से भी ज्यादा देरी से आने के आसार बन रहे हैं। 1 जून को केरल पहुंचा मानसून पश्चिमी उप्र में प्रवेश करते ही कमजोर पड़ गया। अब एक सप्ताह तक बंगाल की खाड़ी और अरब सागर में से कहीं भी नए मौसमी तंत्र के विकसित होने के संकेत नहीं मिल रहे। उसके बाद तंत्र बनेगा तो भी...
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