नयी दिल्ली : चुनाव आयोग ने देश में पूरी तरह से महिलाओं के लिए समर्पित भारतीय महिला बैंक शुरू करने की अनुमति दे दी है, लेकिन साथ ही उसने सरकार को इसकी शाखाएं दिल्ली और मध्य प्रदेश में नहीं खोलने को कहा है. वित्त मंत्रालय को भेजे एक पत्र में आयोग ने कहा कि सरकार को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि बैंक खोलने संबंधी किसी भी तरह का प्रचार-प्रसार इन राज्यों में न किया...
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न्याय की नई मरीचिका- विकास नारायण राय
जनसत्ता 7 नवंबर, 2013 : स्त्रियों के उत्पीड़न का एक और क्षेत्र कानून की गिरफ्त में आने को है। पुरुष वर्चस्व के नजरिए से बेहद नाजुक ‘इज्जत’ के नाम पर होने वाली हत्या का मसला फिलहाल उच्चतम न्यायालय के रडार पर है। अगर यौनिक हिंसा, लैंगिक उत्पीड़न का सर्वाधिक अपमानजनक रूप रही है तो ‘इज्जत’ हत्याएं इसका सर्वाधिक बर्बर रूप होती हैं। इसी तरह, घरेलू हिंसा में स्त्री का दासत्व...
More »स्त्री उत्पीड़न की जड़ें- विकास नारायण राय
जनसत्ता 23 अक्तूबर, 2013 : उत्पीड़न के साए में दिल्ली विश्वविद्यालय के आंबेडकर कॉलेज की कर्मचारी की आत्महत्या, महिला सशक्तीकरण को मात्र यौनिक सुरक्षा के चश्मे से देखने के प्रति गंभीर चेतावनी है। सभी मानेंगे कि देश की राजधानी के एक बड़े शिक्षा संस्थान के इस प्रचारित प्रकरण के चार वर्ष तक खिंचने की जरूरत नहीं थी, और इसका अंत न्याय में होना चाहिए था, न कि आत्महत्या में। काश,...
More »महज लिंक वर्कर नहीं सोशल एक्टिविस्ट भी हैं सहिया
झारखंड में गांव-गांव में सेहत की अलख जगाने वाली सहिया दीदी का स्वरूप महज लिंक वर्कर जैसा नहीं है. झारखंड में सेहत के मसले पर काम करने वाली संस्थाओं ने इसे सेहत के मसले पर गांव में मौजूद सामाजिक कार्यकर्ता का स्वरूप दिया है. इसका काम सिर्फ गांव के लोगों को सेहत से संबंधी सुविधाएं उपलब्ध कराना नहीं है, बल्कि सेहत से संबंधी समस्याओं के लिए गांव के लोगों को...
More »दमनकारी पितृसत्ता की परतें- विकास नारायण राय
जनसत्ता 27 सितंबर, 2013 : ग्वालियर की एक कार्यशाला में एक कार्यकर्ता ने चंबल क्षेत्र में राज्य सरकार के ‘बेटी बचाओ’ अभियान से चिढ़े अभिभावक की प्रतिक्रिया बताई, ‘‘का हम अपनी मोढिन को मार न सकत।’’ मोढी यानी बेटी। क्या हम अपनी पत्नी को भी नहीं पीट सकते; यह हर भारतीय मर्द की अंदर की आवाज होती है। हर बाप अपनी बेटी को संपत्ति से वंचित करता ही है। हरियाणा में...
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