बीते पच्चीस सालों में गरीबों की तादाद घटकर आधी हुई या नहीं इसे परखने के लिए सार्वजनिक रुप से बहुत से आंकड़े मौजूद हैं लेकिन यही बात भुखमरी के शिकार लोगों की संख्या को घटाकर आधा करने के सहस्राब्दि विकास लक्ष्य के बारे में दावे के साथ नहीं कही जा सकती. वजह है, नवीनतम नेशनल फैमिली हैल्थ सर्वे-4 और ड्रिस्ट्रिक्ट लेवल हाऊसहोल्ड एंड फैमिली सर्वे-4 में 3 साल से कम उम्र के कुपोषित(अंडरवेट)...
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एक अच्छी खबर बाल-मृत्यु के मोर्चे से
बच्चों के जन्म और पोषण के मोर्चे से एक अच्छी खबर आई है. नये आंकड़ों के विश्लेषण से पता चलता है कि वर्ष 2004-06 से 2010-13 के बीच 1 साल से कम उम्र में काल-कवलित होने वाले बच्चों की संख्या में कमी आई है. नये आंकड़े भारत के महारजिस्ट्रार एवं जनगणना आयुक्त कार्यालय के हैं. इन आंकड़ों में 2010-13 के बीच सैंपल रजिस्ट्रेशन सिस्टम के जरिए दर्ज मौतों को आधार बनाया गया...
More »किसानों के मन का बजट-- के सी त्यागी
बजट का इंतजार सबको है। खासकर ग्रामीण और कृषक वर्गों में इसकी बेसब्री ज्यादा है। उनके लिए यह बजट ‘रक्षक' या ‘भक्षक' की भूमिका निभाने वाला होगा, क्योंकि पिछले दो बजट में किसानों के लिए कुछ खास नहीं था। आम चुनाव के दौरान किए गए वादों ने उनमें खासा उत्साह भरा था, लेकिन धरातल अनछुआ रह गया। फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य के अलावा 50 फीसदी लाभकारी मूल्य देने की...
More »अच्छे दिनों की सतर्क उम्मीद-- कन्हैया सिंह
चालू वित्त वर्ष का आर्थिक सर्वेक्षण बताता है कि आर्थिक मोर्चे पर सरकार इस बार काफी सतर्कता बरत रही है। खासकर वर्तमान के आकलन और भविष्य के लक्ष्य तय करने के मामले में। बड़ी-बड़ी उम्मीदें बांधने की बजाय उसने व्यावहारिक रवैया अपनाया है। मसलन, अगले वित्त वर्ष की विकास दर को ही लें। सरकार ने अनुमान लगाया है कि अगले साल जीडीपी की विकास दर सात से साढ़े सात फीसदी के...
More »मौसम की मार से निपटने के उपाय करे सरकार
बजट में किसान कई बातों के अलावा मौसम की मार से बचाव के उपाय भी चाहता है। वह बेहतर मौसम अनुमान, फसलों की समय से क्षतिपूर्ति, सीधी सब्सिडी, सूखाग्रस्त क्षेत्रों में जैविक खेती की उम्मीदें रखता है। जानकार भी कहते हैं कि सरकार कृषि और उससे जुड़े सेक्टर में भरपूर निवेश करे ताकि सूखे में स्थितियां नियंत्रण में बनी रहें। एक नजर- बजट 2016-17: क्या हैं उम्मीदें नई प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल हो किसानों...
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