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उच्च शिक्षा में बढ़ती खाई-- शैलेन्द्र चौहान

भारत सरकार ने विश्वविद्यालय में शिक्षा हासिल करने वाले शिक्षार्थियों की संख्या 2030 तक बढ़ा कर तीस प्रतिशत करने का लक्ष्य तय कर रखा है। जबकि भारत में सिर्फ बारह प्रतिशत लोगों को ही विश्वविद्यालयों में प्रवेश मिल पाता है। वर्तमान में भारत में दूरस्थ शिक्षा (डिस्टेंस लर्निंग) यानी घर बैठे पढ़ाई करने वालों की तादाद पैंतीस लाख है। चिंताजनक बात यह कि विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने छात्रों और...

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कब कमर कसेगी सरकार-- शंकर अय्यर

आप इसे बजट राग कह सकते हैं, जो पैसे के मूल मंत्र पर केंद्रित है। बजट के मौसम में सरकारी विचार कक्ष में पैसे के बारे में काफी चर्चा होती है। इस बार भी चर्चा हो रही है कि सरकार को राजकोषीय घाटे को नियंत्रित करना चाहिए या उसकी चिंता छोड़ देनी चाहिए। चर्चा इस पर भी है कि किसे दर्द सहना चाहिए और किसे फायदा होगा। विकास का सिद्धांत...

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मेधा के उत्पीड़न से सबक-- अफलातून

एक मेधावी और संवेदनशील युवा राजनीतिक की मौत ने भारतीय समाज को हिला दिया है. इस युवा में जोखिम उठाने का साहस था और अपने से ऊपर की पीढ़ी के उसूलों को आंख मूंद कर न मानने की फितरत भी. वह एक राजनीतिक कार्यकर्ता था, उसका संघर्ष राजनीतिक था. वह आतंक के आरोप में दी गयी फांसी के विरुद्ध था, तो साथ-साथ आतंक फैलाने के लिए सीमा...

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शराब नीति : समाज की तीखी प्रतिक्रिया, दो मंत्री भी विरोध में

भोपाल/इंदौर। नई शराब नीति में लाइसेंस लेकर 100 बोतल शराब के स्टाक की अनुमति देने के सरकार के निर्णय को लेकर प्रदेश भर में तीखी प्रतिक्रिया सामने आई है। सामाजिक संगठन, चिंतक, संत समाज, राजनीतिक दलों से लेकर आम लोगों तक ने इस फैसले को समाज और प्रदेश की संस्कृति के खिलाफ बताया है। गांधीवादी चिंतक सुब्बाराव का तो यहां तक कहना है कि उन्हें प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान...

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भ्रष्टाचार की संस्कृति में रचे-बसे हम - एनके सिंह

हर साल की तरह इस साल भी ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल की रिपोर्ट आई। भ्रष्टाचार के वैश्विक पैमाने पर भारत अंकों के आधार पर वहीं खड़ा है। पिछले हफ्ते ऑक्सफेम सहित दुनिया की तीन आर्थिक विश्लेषण संस्थाओं ने बताया कि भारत में विगत 25 सालों में गरीब-अमीर की खाई खतरनाक रूप से बढ़ती जा रही है। गरीब और गरीब होता जा रहा है, अमीर और अमीर। हमने कानून बनाए। भ्रष्टाचार के मुद्दे...

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