ऐसा क्या हो गया है कि भारत के बुद्धिजीवियों को राष्ट्रविरोधी होने का खिताब मिल रहा है? क्या स्वतंत्र चिंतन, सरकारी नीतियों की आलोचना राष्ट्रहित में नहीं है? आखिर उन्हें क्यों लगता है कि व्यवस्था गरीबों के हित में नहीं है? और यदि यह सही है, तो फिर व्यवस्था को ठीक करने का क्या उपाय किया जा सकता है? क्या यह भारतीय बुद्धिजीवियों का दायित्व नहीं है कि वे...
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ग्लोबल हंगर इंडेक्स 2018: किसी फैसले पर पहुंचने से पहले इस न्यूज एलर्ट को जरुर पढ़ें
इतिहास अपने को दोहराता है- पहली बार त्रासदी और दूसरी दफे प्रहसन के रुप में. ग्लोबल हंगर इंडेक्स को लेकर मुख्यधारा की मीडिया में ऐसा ही वाकया पेश आया है. पिछले साल ग्लोबल हंगर इंडेक्स(जीएचआई) पर 119 देशों के बीच भारत 100 वें स्थान पर था. मुख्यधारा की मीडिया ने सुर्खी लगायी कि 2014 के मुकाबले भारत ग्लोबल हंगर इंडेक्स पर 45 स्थान नीचे खिसका है. मीडिया में यह भ्रम इतना फैला कि...
More »हाशिमपुरा- इकतीस साल बाद-- विभूति नारायण राय
बुधवार को जब उच्च न्यायालय ने हाशिमपुरा नरसंहार के सभी आरोपियों को दोषी करार देते हुए सजा सुनाई, तो 31 साल पुरानी इस दुखद घटना के सारे दृश्य एक के बाद एक मेरी आंखों के सामने से गुजरने लगे। कुछ अनुभव ऐसे होते हैं, जो जिंदगी भर आपका पीछा नहीं छोड़ते। दु:स्वप्न की तरह वे हमेशा आपके साथ चलते हैं। कई बार तो कर्ज की तरह आपके सीने पर सवार रहते...
More »सरकार ने बदला फैसला, अब एनआरआई भी दायर कर सकते हैं आरटीआई
नई दिल्ली: सरकार ने अपना रुख बदलते हुए कहा कि अब प्रवासी भारतीयों (एनआरआई) को भी देश में सूचना का अधिकार (आरटीआई) अधिनियम के तहत आवेदन देकर प्रशासन से जुड़ी जानकारी लेने का हक होगा. कार्मिक, जन शिकायत और पेंशन राज्य मंत्री जितेन्द्र सिंह ने आठ अगस्त, 2018 को लोकसभा में एक सवाल के जवाब में कहा था कि एनआरआई आरटीआई कानून के तहत अर्जी देने के लिए पात्र नहीं हैं. इस...
More »गांधी और कॉपीराइट का सवाल-- रामचंद्र गुहा
आर ई हॉकिंस ऐसे अंग्रेज थे, जिन्हें ज्यादा शोहरत तो नहीं मिली, लेकिन बतौर प्रकाशक उन्होंने अपनी जड़ें जमाईं और भारत में ही बस गए। दिल्ली के स्कूल में अध्यापन के लिए 1930 में भारत आए हॉकिंस असहयोग आंदोलन में स्कूल बंद हो जाने पर बंबई चले गए और ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी प्रेस से जुड़ गए। 1937 में इसके महाप्रबंधक बने और अगले 30 साल तक इसे खासी सफलता से संचालित...
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