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हर तरफ से टूट रहे तटबंध - प्रताप सोमवंशी

पानी के रास्ते में दजर्नों अड़ंगे हैं, इसलिए वह बांध तोड़ रहा है। बाढ़ के प्रबंधन में कुव्यवस्था और कमीशनखोरी इतनी है कि राज्य और केंद्र की योजनाओं में जगह-जगह पर रिसाव देखा जा सकता है। डूब क्षेत्रों में लगातार रिहाइश बढ़ती जा रही है। ऐसे में, बाढ़ और उससे होने वाली तबाही का संकट घटे तो कैसे? जून से सितंबर के बीच बाढ़ का शोर सुनाई पड़ता है। जैसे-जैसे...

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कभी स्वर्ग, आज वीरान!- हरिवंश

वेतन लाखों में हो गये. लेकिन वेतन बढ़ने से वास्तविक उत्पादन या आय पर क्या असर हुआ, इसे जांचने का कोई विश्वसनीय मेकेनिज्म नहीं है. अमेरिका के डेट्रायट शहर में यही हुआ. पेंशन का बोझ बढ़ता गया. रिटायर लोगों की पेंशन, नये नियुक्त लोगों की तनख्वाह से कई गुना अधिक. ऊपर से शहर की सरकार ने बाहर से कर्ज लेना जारी रखा. कर्ज अगर भोग-विलास के लिए लिया जाये, तो दुर्दशा...

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खाद्य सुरक्षा विधेयक लोकसभा में पास, विपक्ष ने कहा 'वोट सुरक्षा विधेयक'

नई दिल्ली। लंबे इंतजार और गतिरोध के बाद आखिरकार ऐतिहासिक खाद्य सुरक्षा विधेयक सोमवार को लोकसभा में पास हो गया। विधेयक को सदन ने ध्वनिमत से मंजूरी दी। विधेयक पास होने के समय प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह सदन में मौजूद थे। विधेयक पास करने से पहले सदन ने विपक्ष की ओर से पेश संशोधनों को नामंजूर कर दिया। इस विधेयक में देश की 82 करोड़ आबादी को सस्ता अनाज मुहैया कराने का प्रावधान...

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मुक्त बाजार का दुश्चक्र- सुनील

जनसत्ता 27 अगस्त, 2013 : रुपया लुढ़कता जा रहा है। इसे रोकने की भारत सरकार और रिजर्व बैंक की सारी कोशिशें नाकाम होती जा रही हैं। चारों तरफ घबराहट फैल रही है। इसका भारतीय अर्थव्यवस्था पर प्रभाव पड़ रहा है। पेट्रोल सहित तमाम आयातित वस्तुएं महंगी होने से महंगाई का एक नया सिलसिला शुरू हो रहा है। एक तरह से हम महंगाई का आयात कर रहे हैं। इतना ही नहीं, विदेशी...

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बहती धारा को बलपूर्वक रोका गया : वासवी

स्त्री एवं पुरुष समाज रूपी रथ के दो पहिया हैं. एक पहिया कमजोर हो जाय या टूट जाय तो रथ के आगे बढ़ने की संभावना क्षीण हो जाती है. इसके बाद भी बेटे को लेकर हमारा समाज जितना संजीदा है उतनी बेटियों को लेकर नहीं है. यही वजह है कि बेटियों में शिक्षा, स्वास्थ्य, पोषण एवं सुरक्षा की समस्या गंभीर बनी हुई है. बेटियों  के मामले में कल्याणकारी राज्य के भी जो...

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