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मनमानी की दवा और मरीज-- पीयूष द्विवेदी

सरकार अगर जेनेरिक दवाओं के लिए कोई कानून लाती है, तो कुछ ऐसे प्रावधान किए जाने चाहिए। जो भी दवा जेनेरिक हो, उस पर मोटे अक्षरों में जेनेरिक लिखा रहे। डॉक्टर अबूझ लिखावट के बजाय साफ-साफ लिखें जिसे मरीज भी पढ़ सकें। यदि किसी बीमारी की जेनेरिक दवा होते हुए भी डॉक्टर गैर-जेनेरिक दवा लिखते हैं, तो उसका कारण स्पष्ट करें।   राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति के जरिये देश के सभी तबकों के...

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विदेश की कंपनियों को भी कड़ी टक्कर दे रहे हैं पीएसयू

भारत में निजी कंपनियों को कड़ी टक्कर देते हुए शानदार प्रदर्शन करने वाले पीएसयू का जलवा विदेशों में भी कायम रहा है। खासतौर से पेट्रोलियम कंपनियों ने तो तेल खनन के मामले में नित नए रिकॉर्ड बनाए हैं। ओएनजीसी, इंडियन ऑयल, गेल, और हिन्दुस्तान पेट्रोलियम जैसी कंपनियों ने विदेशों में अपने प्रोजेक्ट सफलतापूर्वक पूरे किए हैं। साथ मिलकर टक्कर देंगे विदेशी मंच पर दिग्गज कंपनियों को कड़ी टक्कर के इरादे से पीएसयू...

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नौकरशाही पर पहरेदारी का प्रश्न - हृदयनारायण दीक्षित

भ्रष्टाचार से मुक्ति भारत की राष्ट्रीय अभिलाषा है। इस मामले में प्रधानमंत्री मोदी के 'न खाऊंगा और न खाने दूंगा वाले बयान की अक्सर मिसाल दी जाती है। मोदी के तीन साल के कार्यकाल में केंद्र सरकार के स्तर पर भ्रष्टाचार का कोई मामला सामने नहीं आया, मगर इस बीच प्रशासन से जुड़े तमाम बड़े नाम भ्रष्टाचार की जद में फंसते नजर आए। सीबीआई के पूर्व निदेशक रंजीत सिन्हा पर...

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मध्यप्रदेश- बांध से बिजली बनाते तो दस महीने में बच जाते 500 करोड़ रुपए

जबलपुर, पंकज तिवारी। प्रदेश के सभी बांध लबालब भरे रहे, लेकिन बिजली क्षमता से आधी ही बनाई। 10 महीने तक निजी प्लांटों से बिजली खरीदते रहे। बांध से जो बिजली 57 करोड़ रुपए में बन सकती थी, उसके बदले 500 करोड़ रुपए ज्यादा देकर निजी प्लांटों से खरीदना पड़ा।   बिजली कंपनी की 10 महीने की हालिया रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ है। बांध से बिजली बनाने में 38 पैसे खर्च होते...

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इंफ्रा-मुखी लुभावना बजट-- प्रमोद जोशी

भारत का बजट लोक-लुभावन राजनीति, राजकोषीय अनुशासन और अर्थशास्त्रीय नियमों की रोचक चटनी होता है. इसकी बारीकियां केवल वित्त मंत्री का भाषण सुननेभर से समझ में नहीं आतीं. अलबत्ता पहली नजर में सार्वजनिक प्रतिक्रिया समझ में आ जाती है. इस लिहाज से इस बार का बजट काफी बड़े वर्ग को खुश करेगा. इसमें सामाजिक क्षेत्र का ख्याल है, ग्रामीण क्षेत्र की फिक्र है, साथ ही छोटे करदाता की परेशानियों को...

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