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यूपी: अयोध्या प्रशासन ने अशफ़ाक़उल्ला ख़ां की पुण्यतिथि पर सभी श्रद्धांजलि समारोह रोके

फैज़ाबाद: संशोधित नागरिकता कानून के खिलाफ प्रदर्शनों की आशंका से डरे अयोध्या के जिला व जेल प्रशासन ने एक अप्रत्याशित व उत्साहपूर्ण कदम उठाकर वहां जेल परिसर स्थित अशफाकुल्ला खां की शहादत स्थली पर 19 दिसंबर यानी शहादत दिवस के उपलक्ष्य में आयोजित सभी श्रद्धांजलि सभाओं और कार्यक्रमों की मेजबानी की। पर रोका लगा दी है। आम लोगों के लिए वहाँ पहुंचकर शहीद की प्रतिमा पर माल्यार्पण या श्रद्धासुमन अर्पण करने...

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मोदी के आरसीईपी पर अच्छे राजनीतिक कदम का मजाक न उड़ाएं, यह इन दिनों दुर्लभ है - योगेंद्र यादव

सात साल से चल रही बातचीत पर मंजूरी की मोहर लगाने के लिए बुलाए गए बैंकॉक सम्मेलन के ऐन बीच में क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक भागीदारी (आरसीईपी) से बाहर रहने का फैसला लेकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने गहरी राजनीतिक सूझ-बूझ का परिचय दिया है. आरसीईपी से बाहर रहना सचमुच बहुत बड़ा फैसला है. आरसीईपी मुक्त-व्यापार का कोई साधारण समझौता नहीं. यह चीन, आस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड के साथ-साथ दक्षिण-पूर्वी एशिया तथा पूर्वी एशिया...

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वाहन उद्योग: सुस्ती से उबारने के लिए निजी वाहन नहीं, सार्वजनिक परिवहन को बढ़ावा देना जरुरी है

बिक्री के मोर्चे पर सुस्ती झेल रहे वाहन उद्योग को गति देने के लिए बीते 23 अगस्त को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कई अहम घोषणाएं की. इसमें सरकारी विभागों पर वाहनों की खरीद के मामले में लगी रोक को हटाना, घोषणा के दिन से मार्च 2020 तक खरीदे गये वाहनों पर 15 फीसद अतिरिक्त मूल्यह्रास की अनुमति देना (15 फीसद का मूल्यह्रास पहले से लागू होने के कारण अब यह 30...

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ग्राम सभाओं की जरूरत-- डा. अनुज लुगुन

आम बजट में सरकार ने देश की अर्थव्यवस्था को पांच ट्रिलियन डॉलर बनाने का लक्ष्य रखा है. बजट पर अर्थशास्त्रियों के अपने-अपने मत हैं. बीबीसी की वेबसाइट में प्रकाशित एक आर्थिक विश्लेषण में कहा गया कि अर्थव्यवस्था कहां होगी और अर्थव्यवस्था में कौन कहां होगा, ये दो अलग-अलग और महत्वपूर्ण सवाल हैं. हमारा सवाल भी यही है कि अर्थव्यवस्था में कौन कहां होगा? इस सवाल को आर्थिक से ज्यादा सामाजिक...

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ताकि मिले बढ़ती आबादी का फायदा- प्रो.सुरेश शर्मा

देश-दुनिया की तमाम सरकारों और नीति-निर्माताओं के लिए आज यह याद करने का दिन है कि जनसंख्या और उससे जुड़े मसलों का हल उनकी विकास-नीतियों के मूल में होना चाहिए। भारतीय संदर्भ में देखें, तो 1920 के दशक तक हमारे हिस्से में अत्यधिक जन्म-दर और मृत्यु-दर रही है, पर उसके बाद से इसमें लगातार गिरावट देखी गई। जन्म-दर, मृत्यु-दर और जनसंख्या वृद्धि का परस्पर संबंध किसी देश की जनसंख्या का...

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