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दुनिया की 40 प्रतिशत बालिका वधू भारत में

रांची: नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे-3 में यह बात कही गयी है कि साक्षरता की दर बढ़ने और बाल विवाह पर कानूनी रोक होने के बावजूद भारत में धर्म तथा परंपराओं के चलते बाल विवाह प्रथा आज भी जारी है. दक्षिण एशिया में दुनिया के किसी अन्य हिस्से के मुकाबले सर्वाधिक बाल विवाह होने को रेखांकित करते हुए रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में सबसे अधिक बाल विवाह होते...

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गांव के लोगों की ही देन है आरटीआइ आंदोलन

आरटीआइ कार्यकर्ता सुभाष अग्रवाल किसी परिचय के मोहताज नहीं है. वे आरटीआइ कानून के अमल में आने के बाद से ही लगातार इस हथियार के जरिये आम जनता के हित में लड़ाई लड़ते रहे हैं. चाहे मामला न्यायपालिका में फैले का भ्रष्टाचार का हो या फिर राजनीतिक दलों को आरटीआइ के दायरे में लाने का उन्होंने यह मुहिम निरंतर जारी रखी है. इतना ही नहीं वे नौजवान पीढ़ी की ओर आरटीआइ...

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यों निकलती है एक अधिकार से दूसरे अधिकार की राह..

एक ऐतिहासिक कानून दूसरे ऐतिहासिक कानून के भीतर दिए गए अधिकारों को हासिल करने में मददगार हो रहा है। उत्तरी महाराष्ट्र के हजारो आदिवासी सूचना के अधिकार कानून की मदद से वनाधिकार कानून में प्रदान किए गए अपने हक को हासिल करने के करीब आन पहुंचे हैं।वनाधिकार कानून साल 2006 में बना। इसमें वनवासी और अन्य आदिवासी समुदायों को उनकी परंपरागत जमीन पर सामुदायिक और वैयक्तिक अधिकार दिये गये हैं। बहरहाल,...

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‘ऐसे कानून के लिए हम विकास दर बढ़ने का इंतजार करते रहें, यह जरूरी तो नहीं’

खाद्य सुरक्षा विधेयक पर अलग-अलग खेमों से अलग-अलग प्रतिक्रिया आ रही है. सामाजिक कार्यकर्ता इसकी तारीफ कर रहे हैं तो कॉरपोरेट जगत इस पर चिंतित है. अर्थशास्त्री और सामाजिक कार्यकर्ता ज्यां द्रेज, रेवती लॉल को बता रहे हैं कि क्यों देश को इस कानून की जरूरत है और इसमें कौन-सी खामियां हैं जो दूर होनी चाहिए. खाद्य सुरक्षा विधेयक ने तमाम आशंकाएं पैदा कर दी हैं. पहली आशंका यह है कि देश के...

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गए गुरुजी काम से- राहुल कोटियाल

गया वह ज़माना जब शिक्षक पढ़ाया करते थे. अब उन्हें छत्तीस सरकारी कामों के लिए नौकरी पर रखा जाता है. राहुल कोटियाल की रिपोर्ट. 'वर्तमान शिक्षा-पद्धति रास्ते में पड़ी हुई कुतिया है, जिसे कोई भी लात मार सकता है.’ यह टिप्पणी प्रसिद्ध साहित्यकार श्रीलाल शुक्ल ने अपने सबसे चर्चित उपन्यास 'राग दरबारी' में की थी. यह उपन्यास आज से लगभग पचास साल पहले लिखा गया था. यह वह दौर था जब...

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