-इंडिया वाटर पोर्टल, बारिश की रजत बूँदों को थामने और उन्हें धरती की रगों तक पहुँचाने के लिए जिला पंचायत इंदौर ने शानदार काम किया है। अहम बात यह है कि यह काम लॉकडाउन के उस दौर में कराया गया जब स्थानीय मज़दूरों के सामने रोजी-रोटी का सकंट खड़ा हो गया था। लॉकडाउन के वक़्त में बड़ी तादात में मज़दूर परिवारों को न गाँव में कोई रोज़गार था और न ही...
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किसान लामबंदी (1920 – 2020)
-लोकवाणी, “ एक वह हैं जो अपनी ही सूरत को लेते हैं बिगाड़, एक वह है जिसे तस्वीर बनानी आती है ” आज देश में जगह जगह किसान सरकार की नीतियों से नाराज होकर सड़कों पर रोषप्रकट कर रहें हैं. किसान की उपज की लूट चल रही है, किसान कर्ज में डूबते जा रहें हैं, जिस कारण किसान की ख़ुदकुशी के केस बढ़ते जा रहें हैं, सरकार किसान हितैषी होने का दम भरती...
More »केंद्र-राज्य के बीच जारी जीएसटी विवाद से ज्यादा जरूरी अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाना और उधार की व्यवस्था बनाना है
-द प्रिंट, केंद्र और राज्यों की सरकारें जीएसटी के मद में मुआवजे में कमी की भरपाई को लेकर विवाद में उलझ पड़ी हैं. अच्छे समय में किए गए वादे में केंद्र सरकार ने कहा था कि वह राज्यों को इस कमी की भरपाई करेगी. लेकिन केंद्र अब राज्यों से कह रहा है कि वह इस भरपाई के लिए उधार ले. ज़्यादातर राज्य, खासकर गैर-भाजपा सरकारों वाले राज्य विरोध कर रहे हैं...
More »बड़ी पड़ताल: उत्तराखंड में रिवर्स माइग्रेशन, कितना टिकाऊ?
-डाउन टू अर्थ, उत्तराखंड के प्रमुख पर्वतीय शहर पौड़ी से लगभग 15 किलोमीटर दूर गांव कठूड़ की स्यारियों (गदेरे यानी बरसाती नदी से लगते खेत) में विकास रावत और आलोक चारू अपने साथियों के साथ खेत में लगी सब्जियां तोड़ रहे हैं। कुछ ही देर में आसपास के गांव के लोग ये सब्जियां खरीदने आने वाले हैं। ये लोग पेशे से सब्जी किसान नहीं हैं। विकास कोरोना संक्रमण को रोकने के...
More »मीडिया आजाद है!
-आउटलुक, न कोई मीडिया मुगल है, न ही मीडिया की अपनी कोई ताकत बची है। रेंगते लोकतंत्र के साथ मीडिया का रेंगना उसके वजूद को नए सिरे से परिभाषित कर रहा है, जहां लोकतंत्र को घुटने के बल लाने वाली सत्ता से कोई सवाल नहीं करना है, बल्कि सत्ता की ताकत को अपने साथ जोड़ना है। इस दौर में खबरों की गुणवत्ता या फिर देश के लिए बेहद महत्वपूर्ण और लोगों...
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