नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार का एक वर्ष पूरा होने को है, लेकिन अर्थव्यवस्था पूर्ववत शिथिल पड़ी हुई है। दुकानदारों की मानें तो बिक्री में 20 फीसदी की गिरावट आई है। प्रॉपर्टी डीलरों के अनुसार मोदी सरकार के आने के बाद दाम तीस प्रतिशत टूटे हैं। आश्चर्य है। आश्चर्य का कारण यह है कि शीर्ष स्तर पर भ्रष्टाचार में निश्चित रूप से कमी आई है। स्पेक्ट्रम तथा कोयले...
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जानिए क्या है जीएसटी
नरेंद्र मोदी सरकार के सबसे बड़े आर्थिक सुधारों में से एक वस्तु और सेवा कर (जीएसटी) बिल ने पहली बाधा पार कर ली है। बुधवार को कांग्रेस के वाकआउट के बीच लोकसभा में बिल को मंजूरी मिल गई। कांग्रेस बिल को संसद की स्थायी समिति को भेजने के पक्ष में थी लेकिन उसे इसमें कामयाबी नहीं मिली। इस अहम बिल की अगली परीक्षा राज्यसभा में 8 मई को होगी, जहां इसे...
More »एनजीओ की नकेल कसना जरूरी - नंटू बनर्जी
केंद्रीय गृह मंत्रालय ने फॉरेन कॉन्ट्रिब्यूशन रजिस्ट्रेशन एक्ट 2010 के तहत कोई 9000 गैर सरकारी संस्थाओं (एनजीओ) के पंजीयन रद्द कर दिए हैं। अब इनमें से कोई भी एनजीओ विदेशी अनुदान हासिल नहीं कर सकेगा। इससे अमेरिका नाहक ही नाराज हो गया है। अगर भारत के गृह मंत्रालय को लगता है कि विदेशी पूंजी से पोषित किन्हीं एनजीओ की गतिविधियों के चलते देश की सामाजिक स्थिति और आर्थिक प्रगति प्रभावित...
More »कृषि क्षेत्र की लगातार उपेक्षा- पवन के वर्मा
सरकार की आर्थिक दृष्टि औद्योगिक गलियारों, राजमार्गों, बुलेट ट्रेनों और स्मार्ट शहरों तक ही सीमित है. भारत को इनकी जरूरत है, लेकिन सरकार एकतरफा ढंग से उस भारत को छोड़ इन लक्ष्यों के पीछे नहीं भाग सकती है जहां आत्महत्याओं की संख्या और लोगों की तकलीफें बेतहाशा बढ़ रही हैं. भाजपा को याद करना चाहिए कि सर्वाधिक 18,241 आत्महत्याएं 2004 में हुई थीं, जब पार्टी ‘शाइनिंग इंडिया' की बात करती...
More »बात निकली है तो दूर तलक जाएगी - भवदीप कांग
गजेंद्र सिंह की मौत का राजनीतिकरण इस पूरे प्रकरण का सबसे दु:खद पहलू था। हो सकता है उसकी आत्महत्या 'जेनुइन" हो। यह भी हो सकता है, जैसा दिल्ली पुलिस का मानना है कि उसकी आत्महत्या महज एक दुर्घटना हो, एक नाटकीय प्रसंग। लेकिन गजेंद्र की मौत इन मायनों में अपने लक्ष्य को अर्जित करने में जरूर कामयाब रही कि उसने किसानों की दुर्गति की ओर पूरे देश का ध्यान आकृष्ट...
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