हमारे समय की विडंबना है कि एक युग-व्यापी समाज चिंतक की भूमिका में डॉ बाबा साहेब आंबेडकर के ‘अच्छे दिन' अब आते लग रहे हैं। उनके एक सौ चौबीसवें जन्मदिन के अवसर पर हम उनकी बढ़ती प्रासंगिकता में यह सांत्वना ढूंढ़ सकते हैं कि हमारे पश्चिम-परस्त, ब्राह्मणवादी बुद्धिजीवी जगत में देर है अंधेर नहीं। आधी सदी की ‘रुकावट' के लिए खेद है, मगर देर-सवेर डॉक्टर साहेब को अपना मुनासिब स्थान...
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आपदा से निपटने की हो पुख्ता तैयारी - प्रो. संतोष कुमार
लगभग आधे भारत के साथ-साथ हिमालयी राष्ट्र नेपाल और उसके आसपास के देशों में आए भूकंप ने पूरे क्षेत्र को हिलाकर रख दिया है। इस क्षेत्र में भूकंप की घटनाएं पहले भी हो चुकी हैं, लेकिन इस बार भूकंप रिक्टर स्केल पर 7.9 प्रतिशत की तीव्रता लेकर आएगा, इसकी किसी ने शायद ही कल्पना की हो। यह एक बड़े खतरे का संकेत भी है। पूरे हिमालयी क्षेत्र में भूकंपों का...
More »जारी है सरकार और एनजीओ के बीच की रस्साकशी
अरविंद दुबे. नरेंद्र मोदी सरकार के गठन के बाद से सिविल सोसाइटी के काम करने के तौर-तरीकों की नए सिरे से समीक्षा हो रही है। ताजा मामला गैर सरकारी संगठन फोर्ड फाउंडेशन का है, जिसे निगरानी सूची में डाल दिया गया है। स्पष्ट है विदेशी फंडिंग से चलने वाले कई स्वयंसेवी संगठनों के लिए राह अब आसान नहीं रह गई है। 'सरकार बनाम एनजीओ' रस्साकशी के बीच यह जानना अहम...
More »कार्यस्थल में जा कर काम करें अभियंता : चंद्रप्रकाश
राज्य के पेयजल और स्वच्छता मंत्री चंद्रप्रकाश चौधरी घर-घर तक पीने का स्वच्छ पानी पहुंचाने की मुहिम पर काम कर रहे हैं. विश्व बैंक के निर्देश के बाद राज्य के ग्रामीण इलाकों में पीने का पानी पहुंचाने और ग्रामीण आबादी को खुले में शौच से मुक्त कराने में विभागीय मंत्री गंभीर भी हैं. उनका कहना है कि पीएचइडी विभाग के 32 से अधिक प्रमंडलों में पदस्थापित अभियंता मुख्यालय में कम नजर...
More »राजनीतिक दलों में दलितों को लुभाने की होड़ - शिवानंद तिवारी
यह सबने देखा कि पिछले दिनों करीब-करीब सभी दलों में आंबेडकर जयंती मनाने को लेकर किस कदर होड़ रही। इस होड़ ने यही साबित किया कि दलित वोट की महत्ता आज पहले की तुलना में कहीं ज्यादा बढ़ गई है। दलितों को मतदान का अधिकार तो शुरू से ही है, लेकिन समाज में अपनी दयनीय स्थिति और राजनीतिक चेतना के अभाव में दलित समाज अपने इस अधिकार का इस्तेमाल नहीं...
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