SEARCH RESULT

Total Matching Records found : 774

सामाजिक असमानताओं के कुचक्र में फंसा 'डिजीटल इंडिया' का सपना

सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय (MoSPI) की एक हालिया रिपोर्ट डिजिटल डिवाइड और भारत के कैशलेस अर्थव्यवस्था बनने के विरोधाभास को उजागर करती है. नेशनल सैंपल सर्वे (एनएसएस) की ‘भारत में शिक्षा पर घरेलू सामाजिक उपभोग के प्रमुख संकेतक, जुलाई 2017 से जून 2018' नामक रिपोर्ट में कंप्यूटर और इंटरनेट की उपयोगिता के मामले में ग्रामीण-शहरी विभाजन काफी स्पष्ट दिखता है. शिक्षा पर 75वें दौर के नेशनल सैंपल सर्वे (एनएसएस) की...

More »

कुपोषण और एनीमिया के खिलाफ जंग लड़ रहा है बिहार का यह सरकारी स्कूल

बिहार के पूर्णिया जिले के कसबा प्रखंड मुख्यालय में स्थित यह स्कूल पहली ही नजर में किसी आम सरकारी स्कूल जैसा नहीं दिखता। परिसर की साफ सफाई, स्कूल भवन के रंग रोगन, दीवारों पर बने प्रेरणा दायक चित्र, करीने से बने शौचालय और मूत्रालय, परिसर में लगे पेड़ पौधे, यह सब बरबस आपका ध्यान खींचते हैं। मगर इस विद्यालय की सबसे बड़ी खासियत इसकी वह कोशिश है जो इसने अपने...

More »

लक्ष्य से काफी पीछे रह गए हम

-हिन्दुस्तान   पिछले साल दो बजट पेश हुए थे। एक अंतरिम बजट फरवरी में पेश किया गया था, उसके बाद देश में लोकसभा चुनाव हुए और जुलाई में एक बार फिर मोदी सरकार ने अपना बजट पेश किया। दोनों बजट के बीच छह महीने का अंतर था, पर इन छह महीनों में ही आंकड़ों में बदलाव दिख गया। सरकार की आय और खर्च के बीच एक लाख, 80 हजार करोड़ रुपये का...

More »

इलेक्टोरल बॉन्ड: जो पैसा राजनीतिक दलों के खाते में जा रहा है उसका बोझ करदाता उठा रहा है

राजनीतिक चंदे की लेनदेन में काम आने वाले बैंकिंग चैनलों, खातों और मुद्रक को मिलाकर समूचे इनफ्रास्ट्रक्चर के रखरखाव और सुरक्षा पर गोपनीय अरबपति या प्राप्तकर्ता राजनीतिक दल एक पैसा अपनी ओर से खर्च नहीं करते. इसके बजाय यह लागत भारत सरकार के एक खाते कंसोलिडेटेड फंड आँफ इंडिया से वसूली जाती है जिसमें प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष करों से आने वाला राजस्व जमा होता है. इसके ठीक उलट आम भारतीय...

More »

नरेगा संघर्ष मोर्चा 2020-21 में नरेगा के लिए पर्याप्त बजट की मांग करता है

जैसे कि भारतीय अर्थव्यवस्था दुर्बल हो रही है, सरकार राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (नरेगा) के कामकाज में सुधार के लिए  हाल ही में नोबेल पुरुस्कार विजेता अभिजीत बनर्जी सहित कई प्रसिद्ध अर्थशास्त्रियों द्वारा दी गई सलाह को नज़रअंदाज़ कर रही है। अर्थव्यवस्था को एक के बाद एक झटके लग रहे हैं। भारत में वर्तमान समय में  पिछले 45 वर्षों में  सर्वाधिक बेरोजगारी की  दर  हैऔर खाद्य मुद्रास्फीति नवंबर 2019 में दो  अंको  पर पहुंच गई है , जो पिछले  71 महीनो  में सर्वाधिक है । सरकार के स्वयं...

More »

Video Archives

Archives

share on Facebook
Twitter
RSS
Feedback
Read Later

Contact Form

Please enter security code
      Close