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उत्तराखंड सरकार ने पनबिजली परियोजनाओं द्वारा कम पानी छोड़ने की वकालत की थी

-द वायर, उत्तराखंड के चमोली जिले में बर्फ फिसलने से अचानक आई भीषण बाढ़ और इसके चलते व्यापक स्तर पर हुए नुकसान ने साल 2013 के केदारनाथ आपदा के घावों को हरा कर दिया है. केंद्र एवं राज्य सरकार के ऊपर सवाल उठ रहे हैं कि उन्होंने पिछली आपदाओं से सबक नहीं लिया और बेहद संवेदनशील हिमालयी क्षेत्रों में बेतरतीब ‘तथाकथित’ विकास कार्य जारी है, जिसका खामियाजा आम लोगों को ही भुगतना...

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केन्द्रीय बजट 2021-22 में वित्तीय पारदर्शिता से खर्च के आंकड़ों पर असर!

केंद्रीय बजट 2021-22 को 'पारदर्शी' क्यों कहा जा रहा है, इसको समझने के लिए साल 2021-26 के लिए 15वें वित्त आयोग की मुख्य रिपोर्ट और केंद्रीय बजट 2021-22 को एक साथ पढ़ा जाना चाहिए. लेकिन पहले, हम 'उर्वरक सब्सिडी' के बारे में चर्चा करते हैं. केंद्रीय बजट 2021-22 के बजट दस्तावेज बताते हैं कि 'उर्वरक सब्सिडी' पर खर्च साल 2020-21 में 1,33,947 करोड़ रुपए (संशोधित अनुमान) से घटाकर साल 2021-22 (बजट...

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उत्तराखंड आपदा: जिन्होंने पावर प्रोजेक्ट्स का विरोध किया वही मलबे के नीचे दबे

-न्यूजलॉन्ड्री, आपदा स्थल से लगे रेणी गांव के प्रेमसिंह की मां और पत्नी दोनों रविवार को नदी किनारे खेतों में काम कर रहे थे. सवेरे साढ़े नौ बजे के आसपास अचानक विस्फोट की आवाज़ हुई. प्रेम सिंह की पत्नी गोदाम्बरी कहती हैं कि उन्हें लगा जैसे आसमान टूट पड़ा है. उफनती नदी और पत्थरों को आते देख वह भागीं लेकिन उनकी सास (प्रेम सिंह की मां) को ऋषिगंगा का वह सैलाब...

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आवरण कथा/ महिला किसान : खेत-खलिहान की गुमनाम बेटियां

-आउटलुक, “‘किसान’ की आम छवि में नदारद, अर्थशास्त्रियों की गणना से बाहर, जमीन के कागजात में गैर-मौजूद हमारी खेती-किसानी की अदृश्य आधी आबादी पर किसान आंदोलन से पड़ी रोशनी” यह भारत का एक बेहद शर्मनाक रहस्य है। भारत का ही नहीं, बल्कि समूचे विश्व का। जिस 'औपचारिक' अर्थव्यवस्था की हम अक्सर चर्चा करते हैं, जहां लोग परिश्रम करते हैं और उनके परिश्रम के फल को आंकड़ों और ग्राफ में दर्शाया जाता है,...

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तिहाड़ से खबर : नहीं डिगे गिरफ्तार किसानों के हौसले, आंदोलन वापिस लेने से किया इनकार

-कारवां, 29 जनवरी को दिल्ली पुलिस द्वारा गिरफ्तार किए गए पंजाब के पेरों गांव के 43 वर्षीय किसान जसमिंदर सिंह नम आंखों से मेरी तरफ देखते हुए कहते हैं, “सरकार को क्या लगता है… वह हमें जेल में डालकर हमारे हौसले तोड़ देगी. वह बड़ी गलतफहमी में है. शायद उसने हमारा इतिहास नहीं पढ़ा. हम तब तक वापस नहीं हटेंगे, जब तक यह तीनों कृषि कानून वापस नहीं हो जाते.” गुस्से का गुब्बार...

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