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कोविड वैक्सीन में पक्षपात से भारत को हो सकता है 58 लाख करोड़ रुपए का नुकसान

-डाउन टू अर्थ,  वैश्विक स्तर पर कोविड-19 के टीकाकरण में व्याप्त असमानताओं के चलते भारत को करीब 57,70,454 करोड़ रुपए (78,600 करोड़ डॉलर) का नुकसान हो सकता है जोकि उसकी सकल घरेलू उत्पाद के 27 फीसदी के बराबर है। वहीं, दूसरी तरफ वैश्विक टीकाकरण में विफल रहने पर अमीर देशों को औसतन प्रति व्यक्ति 146,831 रुपए (2,000 डॉलर) का नुकसान हो सकता है। यह जानकारी अंतराष्ट्रीय संगठन ऑक्सफेम द्वारा जारी एक...

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कोविड-19 के बाद आर्थिक असमानता की ओर देश के बढ़ते कदम!

अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) द्वारा अक्टूबर 2020 में जारी द वर्ल्ड इकोनोमिक आउटलुक नामक छमाही प्रकाशन ने अनुमान लगाया है कि 1990 के दशक के बाद से देशों द्वारा गरीबी को कम करने के लिए की गई आर्थिक प्रगति सर्वव्यापी महामारी कोविड -19 से प्रभावित हुई है. यह तय है कि कोविड-19 के बाद भी आर्थिक असमानता में बढ़ोतरी होगी क्योंकि संकट ने महिलाओं, अनौपचारिक क्षेत्र के श्रमिकों और कम...

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नोटबंदी के समर्थन में कई जिनकी किताब का हवाला देते हैं वे खुद इसे लेकर क्या सोचते हैं?

-सत्याग्रह, अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के मुख्य अर्थशास्त्री रह चुके और इन दिनों हॉर्वर्ड विश्वविद्यालय में पढ़ा रहे प्रोफेसर केन रोगॉफ को अर्थनीति के सबसे बड़े विचारकों में गिना जाता है. उनकी किताब ‘द कर्स ऑफ कैश’ (नकदी का शाप) के प्रकाशित होने के कुछ ही समय बाद मोदी सरकार ने नोटबंदी का ऐलान कर दिया था. इसका समर्थन करने वाले कई लोगों ने ‘द कर्स ऑफ कैश’ का भी हवाला...

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अब चीन, पाकिस्तान और भारत का भी भला इसी में है कि वो उस फैंटसी को छोड़ दें जिसे मोदी विस्तारवाद कहते हैं

-द प्रिंट, शुक्रवार की सुबह अचानक लद्दाख पहुंचकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी सेना को संबोधित किया और चीनियों का सीधे-सीधे नाम न लेते हुए कहा कि विस्तारवाद का जमाना गया, यह विकास का युग है. वैसे, उन्होंने यह कयास लगाने की कोई गुंजाइश नहीं छोड़ी कि उनका निशाना किधर था. बेशक उनके निशाने पर चीन ही था लेकिन इस वाक्य को उन ज्ञानोपदेशों में शामिल किया जा सकता है, जो...

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हाल-फिलहाल में जारी हुई अधिकांश रिपोर्टें बता रही हैं कि अर्थव्यवस्था का पहिया थमने वाला है!

अंतरराष्ट्रीय थिंक टैंक, आधिकारिक एजेंसियों और निजी संस्थाओं द्वारा जारी की गईं अधिकांश रिपोर्टें और अध्ययन कोरोनवायरस महामारी से अर्थव्यवस्था और समाज पर पड़ने वाले प्रलयकारी प्रभावों की तरफ इशारा करते हैं. उनका अनुमान है कि दुनिया भर के विभिन्न देशों द्वारा COVID -19 (यानी सोशल डिस्टेंसिंग और क्वॉरंटीन) को कम करने के लिए लगाए गए लॉकडाउन आर्थिक क्षेत्रों से संबंधित आर्थिक विकास को प्रभावित करेंगे और अधिकांश क्षेत्रों में...

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