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ज़मीन नहीं, अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहे हैं यहूदी और फ़लस्तीनी!

-सत्यहिंदी, एक ही सरज़मीन की दो नस्लें जो भाषा, धर्म, संस्कृति और दूसरी कई चीजों में एक दूसरे से बिल्कुल अलग हैं, ज़मीन के उस टुकड़े के लिए लड़ रही हैं जिस पर दोनों अपने अधिकार का दावा करती  हैं, जो दोनों के ही अस्तित्व के लिए ज़रूरी है, जो उनमें से किसी के लिए सिर्फ जमीन का टुकड़ा नहीं है। लगभग 26 हज़ार वर्ग किलोमीटर में फैले इस इज़रायल-फ़लस्तीन के...

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कोविड संकट: ज़िंदा लोग इंतज़ार कर रहे हैं, लाशें पूछ रही हैं देश का इंचार्ज कौन है

-द वायर, लोग हैं कि मरे जा रहे हैं, और वे अपने स्थानीय विधायक, सांसद, नेता, पन्ना प्रमुख, फलाने-ढिमकाने को फोन, संदेश, वॉट्सऐप पर गुहार लगा रहे हैं, जिनके मुनासिब जवाब किसी के पास नहीं हैं. एक तरह की बेबसी और जिसे बायर्स रिमोर्स (ख़राब सौदा करने का पछतावा) उन लोगों में साफ दिखलाई दे रहा है, जो अभी तक नरेंद्र मोदी की तमाम नादानियों, नाकामियों, गलतियों और जनविरोधी क्रूरताओं को अनदेखा...

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पंजाब में प्रवासी मज़दूरों को बंधुआ बनाने के दावों में कितनी सच्चाई?

-न्यूजक्लिक, भारत के गृह मंत्रालय ने पंजाब के मुख्य सैक्रेटरी और डायरेक्टर जनरल ऑफ़ पुलिस को 17 मार्च को लिखी चिट्ठी में कहा है कि पंजाब के सरहदी जिलों में प्रवासी मज़दूरों को नशे की लत लगाकर उनसे बंधुआ मज़दूरी करवाई जाती है। चिट्ठी में यह भी लिखा है, “मज़दूरों से ज्यादा काम करवाने के बाद भी मेहनताना नहीं दिया जाता। पंजाब के सरहदी जिलों में काम कर रहे मज़दूरों में...

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उत्तर प्रदेशः नाराज किसान महती चुनौती

-आउटलुक, “चुनावी वर्ष में भाजपा ने लंबी-चौड़ी नई कार्यसमिति बनाई, ताकि किसान नाराजगी, बेरोजगारी, विपक्ष की लामबंदी की काट तलाशी जा सके” किसानों ने औरंगजेब से लेकर अंग्रेजों की सत्ता भी एक हद तक ही स्वीकार की थी। ऐसे में मुझे डर है कि कहीं हमारे खिलाफ वैसा ही माहौल न बन जाए।” उत्तर प्रदेश के भारतीय जनता पार्टी के एक नेता की यह बेचैनी काफी कुछ बयान करती है। बिगड़ते जमीनी...

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राजद्रोह: जुबान बंद रखो, वरना...

-आउटलुक, “राजद्रोह कानून का दुरुपयोग चिंताजनक हद तक बढ़ा” तानाशाही और लोकलुभावनवाद का जोर जिस दौर में स्थापित लोकतंत्रों में भी बढ़ रहा है, राजद्रोह का कानून सरकार का पसंदीदा औजार बन गया है। भारत में पहले भी कई सरकारें राजनैतिक वजहों से राजद्रोह कानून का इस्तेमाल करती रही हैं, लेकिन पिछले कुछ वर्षों से असहमति को गैर-कानूनी साबित करने के लिए इसका बड़े पैमाने पर दुरुपयोग भारी चिंताजनक है। इसे लोकतंत्र...

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