रायपुर: छत्तीसगढ़ में पिछले ढाई साल में लगभग तीन हजार महिलाएं घरेलू हिंसा की शिकार हुईं और पांच हजार से ज्यादा महिलाओं ने हेल्पलाइन के माध्यम से मदद मांगी. ये सभी अब निर्भया फंड से बनी महिला हेल्प लाईन (181) के माध्यम से अपनी लड़ाई लड़ रही हैं. हालांकि ऐसी महिलाओं की संख्या का अंदाज लगाना मुश्किल है जो मायके और ससुराल की बदनामी के डर से सारे जुल्म चुपचाप सहती...
More »SEARCH RESULT
लैंगिक भेदभाव के खिलाफ खड़ा साल--
साल 2018 भारत की महिलाओं के लिए मील का पत्थर साबित हुआ। अधिकारों के नजरिए से देखें, तो उन्होंने फिर से अपना सही मुकाम हासिल किया। यह वर्ष देश की शीर्ष अदालत द्वारा महिलाओं के पक्ष में ऐतिहासिक फैसले सुनाने का भी गवाह बना। सुप्रीम कोर्ट ने धारा 377 को रद्द किया, महिलाओं को सबरीमाला मंदिर में पूजा-अर्चना के सांविधानिक अधिकार दिए, ‘तीन तलाक' खत्म किया, एडल्टरी यानी व्यभिचार को...
More »क्यों नहीं सुरक्षित हैं बेटियां --- वी मोहिनी गिरी
सीबीएसई टॉपर रही रेवाड़ी की उस छात्रा की आंखों में निश्चय ही सुनहरे भविष्य के सपने पल रहे होंगे। मगर एक झटके में ही सब कुछ खत्म हो गया। उसे र्दंरदगी का शिकार तब बनाया गया, जब वह पढ़ने जा रही थी। आज देश की कोई बेटी खुद को सुरक्षित नहीं मानती। सब इसी आशंका में जीती हैं कि न जाने कब, किसके साथ कुछ गलत हो जाए। यही वजह...
More »न्याय की वेदी पर खंड-खंड पाखंड - भवदीप कांग
अपने आश्रम में एक नाबालिग से दुष्कर्म के मामले में आसाराम को जोधपुर कोर्ट ने उम्रकैद की सजा सुना दी है। यह वही आसाराम है, जिसका कभी बड़ा रसूख हुआ करता था। अपने इसी रसूख के दम पर उसने एक बार यहां तक कि गुजरात की तत्कालीन मोदी सरकार को गिराने की धमकी भी दे डाली थी। यूं देखा जाए तो राजनीतिक प्रश्रय की वजह से ही कथावाचक आसाराम के...
More »कठोरतम कानून न्याय का पर्याय नहीं--- निशा नाग
कठुआ और उन्नाव की बलात्कार की घटनाओं को लेकर फैले जन-आक्रोश के बीच ऐसे मामलों में फांसी की सजा दिए जाने की मांग को एक लोकप्रिय मांग बना दिया गया। इस दबाव का नतीजा यह हुआ कि बारह वर्ष से कम उम्र के बच्चियों के साथ बलात्कार पर फांसी के प्रावधान वाला अध्यादेश केंद्र सरकार ने जारी कर दिया। यह अध्यादेश राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद लागू हो चुका है।...
More »