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जरूरी है किसानों की आय बढ़ाना --- देविन्दर शर्मा

भारत के 17 राज्यों में खेती से एक किसान की औसत आय 20 हजार रुपये सालाना है. इसमें उत्पादन का वह अंश भी शामिल है जिसे वह पारिवारिक उपभोग के लिए रखता है. दूसरे शब्दों में, इन राज्यों में किसान की औसत मासिक आय महज 1,666 रुपये है. जी हां, आपने सही पढ़ा. महज 1,666 रुपये. इस तस्वीर में आप खुद को रख कर देखें. अगर आप किसान होते और...

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इंडिया नहीं, भारत का बजट-- अनुपम त्रिवेदी

मोदी सरकार के तीसरे बजट पर मध्यम-वर्ग की प्रतिक्रिया तीखी रही है. न आयकर छूट की सीमा में बढ़ोत्तरी हुई, न बढ़ते दामों से राहत मिली, बल्कि सेवाकर में बढ़ोत्तरी ने एनडीए सरकार के सबसे बड़े समर्थक मिडिल क्लास को जैसे विपक्षी दलों के साथ ले जाकर खड़ा कर दिया है. महंगी कारें, महंगा सोना, महंगे होटल और कर्मचारी भविष्य निधि (इपीएफ) की निकासी पर लगाये गये कर से चमकती...

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बजट 2016 : गांवों के कायाकल्प की कोशिश

भारतीय अर्थव्यवस्था पर वैश्विक मंदी के साथ कृषि संकट का भारी दबाव है. ऐसी स्थिति में आम बजट में वित्त मंत्री अरुण जेटली ने ग्रामीण विकास और इंफ्रास्ट्रक्चर पर जोर देकर सरकार की दूरदर्शिता और प्राथमिकता को स्पष्ट रूप से रेखांकित किया है. औद्योगिक उत्पादन और घरेलू मांग में बढ़ोतरी के लिए ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करना बहुत जरूरी है. इस उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए वित्त मंत्री ने...

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बजट 2016-17: खेती को पानी मिले, किसानों को वाजिब दाम

हालांकि नई फसल बीमा योजना को प्रधानमंत्री ने "कि‍सान की सारी मुसीबतों का समाधान" बताया है लेकिन लगातार दो दफे सूखे की चपेट में आई खेतिहर अर्थव्यवस्था की मौजूदा बदहाली नये बजट में फौरी तौर पर विशेष उपाय करने की मांग करती है.(देखें प्रधानमंत्री का भाषण)   एक ऐसी स्थिति में जब कृषिगत सकल घरेलू उत्पाद में लगातार दो वित्तवर्षों (2014-15 में -2%, 2015-16 में 1.1%) में बड़ा मामूली इजाफा हुआ हो,...

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देशप्रेम और देशद्रोह के बीच बजट-- पुष्पेश पंत

किसी भी सरकार के लिए बजट बनाना अौर उसे पास कराना एक बड़ी चुनौती होती है. यदि यह वित्तीय विधेयक पास नहीं होता, तो इसे सदन के विश्वास का अभाव समझा जाता है अौर सरकार गिर सकती है.  अगर बजट पास भी हो जाये अौर उसके प्रावधानों से जनता में असंतोष फैलता है, तब भी किसी सरकार के लिए अपने जनाधार को बरकरार रखना कठिन होता जाता है. हर नयी...

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