वित्त मंत्री अरुण जेटली ने मंगलवार को कहा कि राजकोषीय घाटे को लेकर सरकार चिंचित नहीं है। सरकार विनेवेश में सामने आ रही कठिनाईयों के बावजूद इस घाटे को नियंत्रित करने में सक्षम है। जेटली ने कहा मुझे नहीं लगता है कि कोई चिंता की बात है .. सरकार ने राजकोषीय घाटे का लक्ष्य बहुत हल्का रखा था जो 4.1 प्रतिशत घट कर चार प्रतिशत हो गया और (2015-16) के...
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जीएसटी की कसौटी पर- पार्थ उपाध्याय
संसद का सत्र लोक-अपेक्षाओं को पूर्ण करने का एक मंच होता है। संवैधानिक उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए ही सरकार संविधान में संशोधन, परिवर्धन और परिवर्तन करती है। विपक्ष भी जन-आकांक्षाओं पर सरकार को काम करने के लिए बाध्य करने का एक माध्यम है। पर कांग्रेस की हठधर्मिता के कारण विपक्ष की यह भूमिका फिलहाल कमजोर हुई दिखती है। लगभग सत्रह हजार नागरिकों ने अपने हस्ताक्षरों के साथ अपील जारी की...
More »हवाओं के रुख को बताता मोदी का भाषण - के. बेनेडिक्ट
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का इस बार का स्वतंत्रता दिवस का भाषण यूं तो हमेशा की तरह उनकी वक्तृत्व शैली और श्रोताओं से जुड़ने की उनकी क्षमता की ही एक और बानगी था, लेकिन इस बार का भाषण उनके कई समर्थकों को शायद इसलिए निराशाजनक लगा हो, क्योंकि उसमें पर्याप्त सामग्री नहीं थी। कइयों को उसमें महत्वपूर्ण बातों के बजाय दोहराव और पीआर संबंधी कवायद अधिक लगी। अलबत्ता उन्होंने इस अवसर...
More »वैश्विक संकट से लड़ने की रणनीति- भरत झुनझुनवाला
पिछले माह में विश्व अर्थव्यवस्था की तसवीर बदल गयी है. पहले ग्रीस (यूनान) का संकट आया. ग्रीस ने अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष से लिये डेढ़ अरब डॉलर के ऋण का रिपेमेंट नहीं किया. आनेवाले समय में लगभग दस अरब डॉलर के ऋण का रिपेमेंट ड्यू होने को है, जिसका पेमेंट भी वह देश नहीं कर पायेगा. फिलहाल ग्रीस तथा यूरोपीय यूनियन के बीच समझौता हो गया है. यह समझौता टिकाउ नहीं होगा,...
More »जवाबदेही से बच नहीं सकते राजनीतिक दल - जगदीप एस. छोकर
पिछले दिनों इसी पृष्ठ पर 'दलों की निजता और आरटीआई" शीर्षक से प्रकाशित लेख पढ़ने से ऐसा लगता है कि लेखक राजनीतिक दलों को सूचना के अधिकार कानून (आरटीआई) के दायरे में लाने के पक्ष में नहीं हैं, लेकिन लेख में निम्नलिखित वाक्य भी पढ़ने को मिलते हैं - 'जवाबदेही और पारदर्शिता जनतंत्र के मूल आधार हैं; धन संग्रह की पारदर्शिता अनुचित मांग नहीं है; बेशक दल संचालन को भी...
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