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कोरोना वायरस ने रेगिस्तान के सामने जो संकट खड़े किये हैं वे यहां के हिसाब से भी अभूतपूर्व हैं

-सत्याग्रह, भारत मे कोरोना वायरस के कारण आम इंसान तकलीफ़ में हैं. आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक अब तक इसकी चपेट में करीब चार हजार लोग आ चुके हैं जिनमें से डेढ़ सौ लोगों की मौत हो चुकी है. लेकिन इस तकलीफ़ के सबसे बड़े शिकारों में लाखों बेजुबान भी शामिल हैं. कोरोना वायरस की वजह से पैदा हुई परिस्थितियों का सबसे बुरा असर राजस्थान ओर गुजरात के लाखों पशुओं और पशुपालक...

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ग्रामीण भारत में कोरोना : फसल बेचने में असमर्थ बंगाल के किसानों पर बढ़ रहा है क़र्ज़ का बोझ

-न्यूजक्लिक,  गोपीनाथपुर, कृष्णपुर और सर्पलेहना गाँव पश्चिम बंगाल राज्य के तीन अलग-अलग कृषि-पारिस्थितिक क्षेत्रों में स्थित हैं। किस मात्रा में सिंचाई की उपलब्धता है, उसी अनुपात में जमीन में खेती-बाड़ी की जा सकती है जो कि इन क्षेत्रों में अलग-अलग है। गोपीनाथपुर बांकुरा क्षेत्र के कोटुलपुर ब्लॉक में पड़ता है, जो कि कृषि क्षेत्र के लिहाज से पश्चिम बंगाल के सबसे विकसित क्षेत्रों में से एक है। दूसरी और नादिया जिले...

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एक अरब आबादी झुग्गियों में रहती हैं. क्या ये वायरस से बच पाएंगे?

-न्यूजलॉन्ड्री, हालांकि, पूरी दुनिया में कोविड-19 महामारी उन लोगों से फैली जो हवाई जहाज और लग्जरी क्रुज़ के खर्चे सहन कर सकते हैं, लेकिन अब यह वायरस सामाजिक रूप से अदृश्य और भुला दिए गए शहरी मलिन बस्तियों में रहने वालों को चुनौती दे रहा है. मलिन बस्तियों में रहने वाले एक अरब लोगों की संयुक्त राष्ट्र ने जो परिभाषा दी है उसके मुताबिक, स्वच्छ पानी और स्वच्छता के अभाव, खराब गुणवत्ता...

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लॉकडाउन में भूसे की कमी से जूझ रहे पशुपालक, महंगे दाम में भूसा बेच रहे व्यापारी

-गांव कनेक्शन, छह-सात सौ रुपए कुंतल बिकने वाला भूसे का दाम आठ-हजार रुपए तक पहुंच गया है। लॉकडाउन की वजह से दूध न बिक पाने से पहले से ही परेशान पशुपालकों के सामने संकट है कि अगर भूसा न मिला तो पशुओं को खिलाएंगे। उत्तर प्रदेश के मेरठ के मनीष भारती जिले के बड़े पशुपालकों में से एक हैं, लेकिन लॉकडाउन से अब वो परेशान हो गए हैं। मनीष बताते हैं,...

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‘क’ से कोरोना नहीं, ‘क’ से करुणा

-न्यूजलॉन्ड्री,  अपनी रोज की चिर-परिचित दुनिया अपनी ही आंखों से बदली हुई, बदलती हुई दिखाई दे रही है. कल तक जो निजी शक्ति के घमंड में मगरूर थे आज शक्तिहीन याचक से अधिक व अलग कुछ भी बचे नहीं हैं. बच रहे हैं तो सिर्फ आंकड़े… मरने के… और मरने से अब तक बचे रहने के. कोई हाथ जोड़ कर माफी मांग रहा है जबकि उसकी सूरत व सीरत से माफी का...

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