यों कमजोर और कम संख्या वाले समुदायों की सुविधा-असुविधा का खयाल रखने को समाज अपनी प्राथमिकता नहीं मानता, लेकिन हाशिये पर मौजूद लोग भी इसी समाज और व्यवस्था का हिस्सा होते हैं, जिनकी जरूरतें आधुनिकता की चकाचौंध में कई बार दरकिनार कर दी जाती हैं। मौजूदा दौर को मोबाइल क्रांति का युग माना जा रहा है और यह धारणा आम है कि एक गरीब व्यक्ति भी आज मोबाइल का उपयोग...
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जीवन चलने का नाम : उदयपुर के प्रवासी मजदूरों की बदलती दुनिया
" यह सड़क कहां जाती है ? "सड़क कहीं नहीं जाती, इस पर आने-जाने वाले लोग जाते हैं." विजयदान देथा की एक कहानी में चतुर बुढ़िया ने अपनी हाजिरजवाबी से राजा और मंत्री को छकाने के लिए कहा था. पता नहीं उदयपुर जिले के जनजातीय इलाके गोगुन्दा, कोटड़ा और सलुम्बर में चतुर बुढ़िया की यह लोककथा प्रचलित है या नहीं लेकिन यहां के राष्ट्रीय राजमार्ग-8 पर बुढ़िया की बात फिट बैठती है. लाने-जाने के...
More »मजदूरी करते वक्त 15 महीने की बच्ची को पत्थर से बांध देती है मां...
कंस्ट्रक्शन साइट पर मजदूरी करते वक्त एक मां अपनी 15 महीने की बच्ची ‘शिवानी' को पत्थर से बांध देती है। 40 डिग्री सेल्सियस की गरमी में जब लोग बाहर निकलना पसंद नहीं करते ऐसे में नन्हीं शिवानी नंगे पैर 9 घंटे इसी तरह बिताती है। शिवानी की मां सरता कलारा कहती है कि उसके पास इसके सिवाय कोई विकल्प नहीं है। वह और उसके पति 250 रुपए दिहाड़ी पर मजदूरी...
More »मजदूर होने का मतलब- डा अनुज लुगुन
अभी कुछ दिन पहले ही कोलकाता में ओवरब्रिज के गिरने से 22 लोगों के मरने की खबर आयी थी. मरनेवालों में ज्यादातर मजदूर थे. इनमें से एक उत्तर प्रदेश निवासी शंकर पासवान भी था, जो मोटिया का काम करता था. वह होली में अपने घर इसलिए नहीं गया, ताकि वह कुछ दिन और काम करके बेटी की शादी के लिए कुछ पैसे जमा कर सके. यह हमारे देश के मजदूरों...
More »किसानों के मन का बजट-- के सी त्यागी
बजट का इंतजार सबको है। खासकर ग्रामीण और कृषक वर्गों में इसकी बेसब्री ज्यादा है। उनके लिए यह बजट ‘रक्षक' या ‘भक्षक' की भूमिका निभाने वाला होगा, क्योंकि पिछले दो बजट में किसानों के लिए कुछ खास नहीं था। आम चुनाव के दौरान किए गए वादों ने उनमें खासा उत्साह भरा था, लेकिन धरातल अनछुआ रह गया। फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य के अलावा 50 फीसदी लाभकारी मूल्य देने की...
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